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सं० १५३५ पोषक. १२ रविवार के दिन उपकेशवंशीय श्रे० हीरा भा० हीरादेवी पुत्र सुश्रावक पासु (पारसमल) ने अपनी भार्या पूर्णिमादेवी पुत्र क्षेमराज भूतराज
और देवराज सहित अपने श्रेयार्थ अंचलगच्छीय श्रीजयकेशरमरि के उपदेश से श्रीसंभवनाथ का बिम्ब करवाया, प्रतिष्ठा वागूडीग्राम में श्रीसंघने करवाई।
सं० १५०७ माघशु० १३ शुक्रवार के दिन वीरवंशीय सं० लीम्बा भा० मोटीबाई पुत्र सं० सुश्रावक नारदने स्वमार्या जयरुदेवी सहित अंचलगच्छीय श्रीजयकेशरसूरि के उपदेश से श्रीधर्मनाथ का विम्ब पिता के श्रेयार्थ करवाया और श्रीसंघने प्रतिष्ठित करवाया।
(६५) __ सं० १५०१ पौषक० ६ बुधवार के दिन वराहीगोत्रीय श्रीश्रीमालझातीय व्य० महिपाल पुत्रव्य० सिंह भा० सुहबदेवी पुत्र नाथा, राहुल, धरणने अपनी माता के कल्याणार्थ श्रीश्रेयांसनाथ का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा थारा. पद्रीयगच्छीय श्रीसर्वदेवसरि के पट्टधर श्रीविजयसिंहसूरिने की।
(६६) सं० १४७९ माघशु० ४ काकवंशीय वोहराशाखीय
"Aho Shrut Gyanam"