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( २२१ )
मा० वरजुबाई के पुत्र माजूने अपने पिता माता व आत्मकल्याणार्थ श्रीनमिनाथप्रभु का विम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय त्रिभविया भट्टा० श्रीधर्मसागरसूरि के पट्टधर भ० श्रीधर्मप्रभसूरने की ।
(९०)
सं० १५३० कार्तिकशु० १२ सोमवार के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्यव० लीम्बराज भा० लाडूबाई पुत्र धर्मसिंह भा० धांधलदेवीने भ्राता बीना के व आत्मश्रेयार्थ श्री शीतलनाथजी का बिम्ब कराया, जिसकी प्रतिष्ठा पिष्पलगच्छीय श्रीमुनि सिंहसूर के पट्टधर श्रीअमरचन्द्रसूरिने की ।
( ९१ )
सं० १५०१ फाल्गुनशु० ५ गुरुवार के दिन ब्रह्माणगच्छानुयायी श्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० तेजपाल भा० मूलाबाई पुत्र लाखाने मा० ललिताबाई, पुत्री रत्नू, पिता-माता के श्रेयार्थ श्रीवासुपूज्यस्वामी का विम्ब श्रीपज्जूनसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित करवाया ।
( ९२ )
सं० १५२४ मार्गशिरक० २ के दिन प्राग्वाटज्ञातीय व्य० तेजपाल भा० श्रीदेवी पुत्र व्य० पोपमल मा० पांतीदेवी पुत्र ब्रजांगदेव, देवपालने प्रमुख परिजनों सहित अपने
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