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(१६) सं० १५०१ पौषक. ९ शनिवार के दिन अचलगच्छेश्वर श्रीजयकीर्तिमूरि के उपदेश से शा. कालू भार्या कमलादेवी पुत्र हरिपनने स्वस्नी माल्हणदेवी के कल्याणार्थ श्रीअजितनाथ का बिम्ब करवाया और वह श्रीसंघ द्वारा प्रतिष्ठित हुआ।
(१७) सं० १५१३ पौषकृ. ५ रविवार के दिन वावीग्राम निवासीश्रीश्रीमालज्ञातीय श्रे० तिहुणा( त्रिभुवन) भा० कर्मादेवी के पुत्र डाहाने भा० धारणपद्री और मेच पुत्र भाखर सहित माता पिता के कल्याणार्थ श्री अजितनाथ का विम्ब करवाया, जो चित्रगच्छीय म० श्रीलक्ष्मीदेवसूरि के द्वारा प्रतिष्ठित हुआ।
(१८) सं० १५११ माघशु० ५ सोमवार (गुरुवार) के दिन श्रीश्रीमालज्ञातीय व्य० वानर के पुत्र जोधराज की स्त्री रतूबाईने अपने पति के आत्मकल्याण के लिये जीवितस्वामि श्रीकुन्थुनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीराजतिलकसरि के उपदेश से श्रीहरि द्वारा हुई
१ लेखाङ्क ९४, १२१, ३५६ को देखते हुए सोमवार के स्थान पर गुरुवार ही चाहिये ।
"Aho Shrut Gyanam"