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( १९५) गच्छीय श्रीननाचार्यानुयायी ओसवालज्ञातीय मंडपुत्रशाखीय(मणशाली) श्रे० महिमदेव मा० मंदोदरी के पुत्र नरश्रेष्ठीने स्वमाता पिता के प्रेयके लिये श्री शान्तिनाथप्रभु का पंचतीर्थी बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीभावदेवसूरिने की।
सं० १५१९ मार्गसिर गुरुवार के दिन श्रीमालज्ञातीय लघुशाखीय व्य० जेसा (जसराज) भार्या हरखू (हर्षाबाई) के पुत्र व्य० राजाने स्वभार्या भवकूनाई सहित अपने कल्यापार्थ पूर्णिमापक्षीय श्रीसाधुरत्नसूरि के उपदेश से श्रीपार्थनाथ का पंचतीर्थी विम्ब प्रतिष्ठित करवाया।
(९) सं० १५१२ मार्गसिर शुक्ला पूर्णिमा सोमवार के दिन भावडारगच्छीय श्रीमालजातीय व्य. पाराज, भा० पाल्हणदेवी पुत्र माला( मालराज) मा० माल्हणदेवी पुत्र रत्नराज, पर्वत, संघा, मोकल, देवा, जाणा (ज्ञानराज) सहित व्य० मालाक(मालराज)ने अपने पितामह के भ्राता व्य. घडसिंह के कल्याणार्थ श्रीसुमतिनाथ का बिम्ब करवाया, जिसकी प्रतिष्ठा श्रीकालकाचार्यसन्तानीय पूज्य श्रीवीरसरि के द्वारा हुई।
"Aho Shrut Gyanam"