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जैन परम्परा का इतिहास की विशेषता है। किन्तु उसकी भी एक सीमा है। मैंने उसे भी निभाया है। तोड़नेवाला समझता ही नही तो आखिर जोड़ने वाला कब तक जोड़े ? ___ भरत की विशाल सेना 'बली' की सीमा पर पहुँच गई। इधर बाहुबलि अपनी छोटी-सी सेना सजा आक्रमण को विफल करने आ गया। भाई-भाई के बीच युद्ध छिड़ गया। स्वाभिमान और स्वदेश-रक्षा की भावना से भरी, हुई बाहुबलि की छोटी-सी सेना ने सम्राट की विशाल सेना को भागने के लिए विवश कर दिया। सम्राट के सेनानी ने फिर पूरी तैयारी के साथ आक्रमण किया । दुबारा भी मुह की खानी पड़ी। लम्बे समय तक आक्रमण और बचाव की लड़ाइयां होती रहीं। आखिर दोनों भाई सामने आ खड़े हुए। तादात्म्य आँखो पर छा गया। संकोच के घेरे में दोनो ने अपने आपको छिपाना चाहा, किन्तु दोनो विवश थे। एक के सामने साम्राज्य के सम्मान का प्रश्न था, दूसरे के सामने स्वाभिमान का। विनय और वात्सल्य की मर्यादा को जानते हुए भी रण-भूमि में उतर आये। दृष्टि-युद्ध, मुष्ठि-युद्ध आदि पांच प्रकार के युद्ध निर्णीत हुए। उन सब मे सम्राट पराजित हुआ। विजयी हुआ बाहुबलि । भरत को छोटे भाई से पराजित होना बहुत चुभा । वह आवेग को रोक न सका। मर्यादा को तोड बाहुबलि पर चक्र का प्रयोग कर डाला । इस अप्रत्याशित घटना से बाहुबलि का खून उबल गया। प्रेम का स्रोत एक साथ ही सूख गया । बचाव की भावना से विहीन हाथ उठा तो सारे सन्न रह गये। भूमि और आकाश बाहुबलि की विरुदावलियो से गूज उठे। भरत अपने अविचारित प्रयोग से लजित हो सिर झुकाए खडा रहा। सारे लोग भरत की भूल को भुला देने की प्रार्थना मे लग गये।
एक साथ लाखों कण्ठो से एक ही स्वर गूंजा-"महान् पिता के पुत्र भी महान् होते है । सम्राट ने अनुचित किया पर छोटे भाई के हाथ से बडे भाई की हत्या और अधिक अनुचित कार्य होगा ? महान् ही क्षमा कर सकता है। क्षमा करने वाला कभी छोटा नहीं होता। महान् पिता के महान् पुत्र ! हमे क्षमा कीजिए, हमारे सम्राट को क्षमा कीजिए।" इन लाखो कण्ठो की विनम्र स्वर-लहरियो ने बाहुबलि के शौर्य को मार्गान्तरित कर दिया। बाहुबलि ने अपने आपको सम्हाला । महान् पिता की स्मृति ने वेग का