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जैन परम्परा का इतिहास ८-"देवा ण भंते ! कयराए भासाए भासंति ? कयरा वा भासा
भासिज्जमाणी विसिस्सति ? गोयमा ! देवाण अद्धमागद्वाए भासाए भासंति । सावि य ण अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति" ।
-भग० ५।४ ६-"से कि तं भासारिया ? भासारिया जे ण अद्धमागहाए भासाए
-प्रज्ञा० ११६२ १०
भारती
भासंति"
वैदिक
प्राथमिक प्राकृत ब्राह्मण ग्रन्थो की भाषा
द्वतीयिक प्राकृत (प्रथम भूमिक) ऐतिहासिक काव्यो की भाषा तीयिक प्राकृत (द्वितीय भूमिका)
(१) पाली शौरसेनी पाणिनि की संस्कृत
(२) अर्ध मागधी (पतजलि पर्यन्त)
(३) पूर्वीय मागधी (४) पश्चिमीय प्राकृत
(अशोक की धलिपि द्वतीयिक प्राकृत का विभागीकरण नीचे दिया गया है ।
द्वतीयिक प्राकृत-प्रथम भूमिका
द्वतीयिक प्राकृत-द्वितीय भूमिका
पाली मागधी भाषा अर्धमागधी (शुद्ध) अशोक की लेख भाषा (अशोक की लेख भाषा)
(पश्चिम भाग की) (पूर्व देश की)
गौर्जर अप्रत्र श
(Standard ) शौरसेनी व्याकरणस्थ मागधी अर्धमागधी ( सूत्रो की ) महाराष्ट्री
Standard G7 HETZTOTT
अपभ्रंश