Book Title: Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 173
________________ जैन परम्परा का इतिहास २७- निर० दशा० १०, स्था० ६६६६, सम० १५२ समवाय, भग० २८ - भग० २६ - जैन० भा० वर्ष २ अक १ ३० – जैन० भा० वर्षं २ अक १ पृ० ४५, ४६,४७,४८ [ १६३ ३१ - जैन० भा० वर्ष ६ अक ४२ पृ० ६८६ ३२ - वि० ( इलाहाबाद ) अहिंसक परम्परा ३३ - मू० समाचार, २१ मार्च, १९३७ ३४ - जैन० भा० वर्ष ६ अंक ४१ पृ० ६६७ ३५ - जैन० भा० वर्ष ६ अक ४२ पृ० ६६० ३६--Our Oriental Heritage, page 467, 471 ३७ - जैन० भा० वर्ष ६ अंक ४२ पृ० ६६० प्रवक्ता श्री आदित्यनाथ झा, उपकुलपति, वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय | ३८ - वेई दियाण जीवा असमारम्भमाणस्स चउविहे संजमे कज्जइ, तजहाजिभामयाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ, जिभामरणं दुक्खेणं असजोगेत्ता भवइ, फासामयाओ सोक्खाओ अववरोवेत्ता भवइ, फासामयाओ दुक्खाओ असयोगेत्ता भवइ । ---स्था० ४-४ ३६ - दसविहे सजमे पन्नते तजहा पुढविका यसजमे, अप्प - तेउ वाउ - बणस्सइastraजमे इदयच उरिदिससजमे पचेदियसजमे अजीवकायसजमे । -स्था० १० - ४० - दसविहे सवरे पन्नते त जहा -- सोइ दियसंवरे जावफासिंदियस व रे, मणवइ - काय उवगरणसवरे, सूईकुसग्गसवरे | • स्था० १० ४१ - दसविहे आससप्नओगे पन्नते त जहा - इह लोगाससप्पओगे, दुहओलोगाससयओगे, जीवियास सप्पओगे, परलोगास सप्पओगे, मरणास सप्पओगे, कामासंसओगे, भोगाससप्पओगे, लाभाससप्प ओगे, प्याससम्पओगे, सक्कारास सप्पओगे । - स्था० १० ४२ - दो ठाणाइ अपरियाणित्ता आया णो केवलिपन्नत्त धम्म लभेज्जा सवणाए तजहा—आरम्भे चैव परिगहे चैत्र । स्था० २११ ४३ - सत्रे पाणा सन्चै भूया सच्चे जीवा सव्वे सत्ता न हन्तव्वा, न

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