Book Title: Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 181
________________ जैन परम्परा का इतिहास [१७१ प्रज्ञापना-प्रज्ञा० भगवती सूत्र-भग० भरत वाहुवली महाकाव्य-भर० महा० भारतीय प्राचीन लिपिमाला-भा० प्रा० लि. मा० भारतीय मूर्तिकला-भा० मू० भारतीय संस्कृति और अहिंसा-भा० स० अ० महावीर कथा-महा० क० मुम्बई समाचार-मु० युक्त्यनुशासन–युक्त्य० रत्नकरण्ड श्रावकाचार-रत्न. श्रा० राजप्रश्नीय-रा०प्र० लन्वहनीति-लव० विश्ववाणी-वि० विशेपशतक-वि० श. विशेपावश्यक भाष्य-वि० भा० वीतरागस्तव-वीत. वृहतकल्प नियुक्ति-१० नि० व्यवहार-व्यव० समवायांग-सम० समाचारी शतक-स० म० साहित्य सदेग-सा० सदेश सुत्त निपात-सु०नि० सूत्रकृतांग-सू० सूचनांग नृत्ति--सू० १० स्थानांगवृत्ति -स्या० नृ० स्थानागम-स्वा० मान्त गुपारम-शा० मु० ध्रमण-५०

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