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जैन परम्परा का इतिहास
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वस्या को भगवान का निर्वाण हुआ था। उस समय देवो ने और राजाओ ने प्रकाश किया था। उसी का अनुसरण दीप जला कर किया जाता है।
दीपावली की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे श्रीराम तथा भगवान् श्रीकृष्ण के जो प्रसग है वे केवल जन-श्रुति पर आधारित है, किन्तु इस त्योहार का जो सम्बन्ध जैनियो से है, वह इतिहास-सम्मत है। प्राचीनतम जैन ग्रन्यो मे यह बात स्पष्ट शब्दों में कही गई है कि कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी की रात्रि तया अमावस्या के दिन प्रभात के वीच सन्धि-वेला मे भगवान् महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था तथा इस अवसर पर देवो तथा इन्द्रो ने दीपमालिका सजाई थी।
आचार्य जिनसेन ने हरिवंश पुराण मे जिसका रचना-काल शक संवत् ५०७ माना गया है। स्पष्ट शब्दो मे स्वीकार किया है कि दीपावली का महोत्सव भगवान् महावीर के निर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है । दीपावली की उत्पत्ति के सम्बन्ध में यही प्राचीनतम प्रमाण है३७ ।