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विशेष आभार प्रदर्शन इस पुस्तक के अधिकांश अध्यायों के विवेचन प्रोफेसर पद्मनाभ एस. जैनी की पुस्तक “दी जैन पाथ आव प्योरीफिकेशन" (अंतरंग शुद्धि का जैन मार्ग, 1979), बर्कले यूनिवर्सिटी प्रेस, बर्कले, केलिफोर्निया, अमेरिका (जो मोतीलाल बनारसी दास, दिल्ली से भी 1979 में पुनः प्रकाशित हुई है) की आधारभूत सामग्री पर पर्याप्त मात्रा में आधारित है। विशेषतः मैं उनकी पुस्तक के निम्नलिखित पृष्ठों की सामग्री के लिये आभार मानता हूँ जिसे मैंने अपनी इस पुस्तक में उद्धृत किया है :
(1). अध्याय 1 पृष्ठ 32 (2). अध्याय 3 पृष्ठ 98 (3). अध्याय 4 पृष्ठ 109, 112-4,125-7 (4). अध्याय 5 पृष्ठ 140-1, 147, 150 (5). अध्याय 6 पृष्ठ 159,168-69,171 (6). अध्याय 8 पृष्ठ 252-3
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