________________
जैन तर्कशास्त्र
107
इनकी व्याख्या समय की अपेक्षा से की जा सकती है। इनमें पहला नय (नैगम नय) तीनों कालों की अपेक्षा निदर्शित किया जा सकता है जबकि ऋजुसूत्र नय वर्तमान क्षण को ही निदर्शित करता है। इसके विपर्यास में, एवंभूत नय वर्तमान काल एवं वर्तमान क्षण को निदर्शित करता है। इस प्रकार, नयों के विशिष्ट पक्षों की अपेक्षा ज्ञान स्थूल कोटि से प्रारम्भ होकर सूक्ष्म कोटि की ओर बढ़ता है।
अब हम तर्कशास्त्र सम्बन्धी कुछ विशिष्ट सिद्धान्तों का वर्णन करेंगे। 9.2 अनुमान के पांच अवयव
हम सबसे पहले जैनों के अनुमान के पांच अवयवों पर विचार करेगें। जैनों की मध्यम ‘पंचपदी' में पांच कथन या प्रतिज्ञायें होती हैं। उदाहरणार्थ,
1. टॉम की मृत्यु हो गई, डिक की मृत्यु हो गई और हैरी की भी
मृत्यु हो गई। 2. टॉम, डिक और हैरी सचमुच में सामान्य जाति के मनुष्य हैं। 3. सभी सामान्य जाति के मनुष्य मरते हैं। 4. जॉन भी एक मनुष्य है। 5. अतः जॉन की भी मृत्यु होगी।
इस मध्यम पंचपदी के अंतिम तीन पद या कथन, वास्तव में अरस्तू के अनुमान की त्रिपदी के समान माने जा सकते हैं, जिसके अनुसार,
1. मनुष्य मरणशील है। 2. जॉन एक मनुष्य है। 3. इसलिये, जान मरणशील है।
मध्यम अनुमान-पदी तर्क की आगमनात्मक और निगमनात्मक विधियों के स्पष्टतः संयोग को प्रदर्शित करती हैं। वस्तुतः, ये वैज्ञानिक और सांख्यिकी विचारधारा के चरणों को प्रतिबिंबित करती हैं। इसके पहले दो पदों को आबादी (जनसंख्या) के निरीक्षण के रूप में माना जा सकता है और तीसरा पद निरीक्षणों के आधार पर अनुमान लगाने की प्रक्रिया के समान सोचा जा सकता है। इसके अंतिम दो पदों को एक नये निरीक्षण का प्रलम्न (प्रोजेक्शन) माना जा सकता है। इस प्रकार के अनुमान पर आधारित वैज्ञानिक विधियों के भी मील के पत्थर हैं और सभी प्रकार के वैज्ञानिक अनुप्रयोगों में इन्हें ओझल नहीं करना चाहिये।
वास्तव में, जिस पंचपदी के पांचों अवयव अन्योन्य-रूप से एकरूपता में हों, वह यथार्थ मानी जाती है। उपरोक्त उदाहरण में पांच अवयव निम्न हैं :
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org