Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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जैन धर्म की वैज्ञानिक आधारशिला
चित्रभानु, गुरूदेव, 64 चुम्बक और संदूषित आत्मा 21 चेतना का स्तर 25 चंडकौशिक 44, 134 चंदना 134
जैनों की कण-भौतिकी 49, 50 जैनों की मध्यम पंचपदी, 107 जो. कीटन 53
टाटिया, एन. एम. 106, 112 टेकियोन 123 टोबायास, माइकेल 126
छ: द्रव्य 42 छेद-सूत्र 137
डार्विन 115 डी. एन. ए. 122 डी' स्पगनेट, बी., 114 डेवीस, पी. सी. डब्लू 124
जम्बूस्वामी 79 जन्म-मरण के चक्र 37 जय जिनेन्द्र 1 जय धवला 138 जयाचार्य 137 जलकायिक 25, 35 जवेरी, जे. एस. 47, 122 जॉन, आर. जी. 114 जामालि 131, 134 जायगोट/युग्मनज 122 जिनभद्र गणि 137 जिनसेन 138, 140 जीव 13, 48, 121 जीवन का अनुक्रम 3-8, जीवन-चक्र
39, 40 जीवन-धुरी 27, 28, 29, 30 जीवन के यूनिट/इकाई 24-27, 71,
72, 94, 148 जैकोबी, एच. 70 जैन 1, 3, आगम, 9 इतिहास की
महत्त्वपूर्ण तिथियां 5, काल-चक्र 68, तर्कशास्त्र 119, 145, दर्शन 12, धर्म 1, 2, 3, 12, न्याय 2, पंथ की सत्यता 106, योग 58, विचार 12, विज्ञान, 19, 21, 45, 48, विश्व काल-चक्र 75, 92, 140, सम्प्रदाय
3, सिद्धान्त जैन, सी. आर. 40 जैन, जी. आर. 116, 122, 123, 139 जैन, एच. एल. 134 जैन, एन. एल. 41 जैन, एस. के. 121 जैनी, जे., एल, 112, 129 जैनी, पी. एस. 16, 23, 31, 48, 60, 71
तत्त्वार्थसूत्र 140, 141,142, 143 तप/तपस्या 32, 88, 101, 110, 146 तीन रत्न 104 तीर्थकर 1, 29, 67, 69, 136, 138,
कालखंड 67, 68, क्रियाशील/ सक्रिय सर्वज्ञता के चरण 91 चौबीसवें तीर्थकर 2, जीवित तीर्थकर 76, 80, तेईसवें तीर्थंकर 2, पार्श्व 2, महावीर 2, 72, 79,
151, 166, ऋषभ 1, 2, 9 तेजस्कायिक/अग्निकायिक 25, 28 तैजसशरीर/उष्म शरीर 47 तैजस शरीर-संपुट 35, 40 त्याग 102, 103, 110, - और धर्म 104,
- ग्यारह प्रतिमायें, 102, - निगोद-जीवों का 80, महावीर का, 152
थामसन, जे. जे. 116
दर्शन और दृष्टिकोण, 87 दर्शन-आवरक घटक 33 दर्शन मोहनीय 51, 86 दर्शनावरण घटक/द-घटक 33, 39,
53
दशधर्म, 92, 104, 116 दशवेयालिय 136, 139, 143 दिवाकर, सिद्धसेन 140 देव, 28, देव अवस्था , 28, 30 देवर्धिगणि 136
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