Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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सामान्य शब्दानुक्रमणिका
165
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वियोजन 53 विल्सन 46 विलोपन 86 विशेषावश्यकभाष्य 142 वीरसेन 138 वीर्य-अवरोधक-घटक, 35 वीर्यात्मक घटक 13, 16 वेदनीय कर्म 47 व्यवहारनय 106 व्याप्ति/सह-धर्मिता, 120
शब्द नय 106 शरीर-निर्माणक घटक 39 शलाकापुरुष 1 शाकाहार 127 शाह, ए. आर. 126 शुद्ध आत्मा 12 शुद्धि की कोटि 24 शुद्धिकरण 11 शुद्धिकरण के उपाय 89 शुद्धिकरण के चरण 74 शुद्धिकरण की धुरी 74 शेल्ड्रेक, आर. 123 श्रमण 134 श्रावक 90, 134 श्रुतज्ञान 105, 113 श्वेताम्बर 136, 137
समिति 92, ईर्या 92, एषणा 92, वचन
92, व्युत्सर्ग 92 साक्स, जे. जी. 128 सागरोपम 69 सातावेदनीय कर्म घटक, 44 साधु 80 सापेक्ष कथन, 106 सापेक्षवाद 108 सांप-सीढ़ी का खेल 144 सांसारिक आत्मा 11 सिंघवी, एल. एम. 126 सिद्ध 23 सिद्धसेन दिवाकर 140 सिद्धार्थ 131 सुख 12, 13 सुखात्मक घटक 13 सुख-विकारी कर्म घटक/अ--घटक 46 सुख-विकारी मोहनीय कर्म 59 सुधर्मा स्वामी 136 सूक्ष्म जीव/जीवाणु/निगोदिया 3, 25,
63 सूक्ष्म शरीर 54 सूत्रकृतांग 138 सेव के जीवन यूनिट 26 सैद्धान्तिक विज्ञान 12 सोमदेव 140 संक्रमण 85, 86, अन्योन्य 95 संग्रह नय 106 संदूषित आत्मा 12 संपुट, कार्मिक 40, 41, तैजस, 35, 36 सम्प्रदाय 36 सम्मोहन 46 संयम 79,86 संवर 22 सम्यक्-चारित्र 97, 104 सम्यक्-दर्शन 3, 86, 109, - के आठ
अंग 101, 117 सम्यक-ज्ञान 97 सम्यक्त्व 77 स्कंध की छह कोटियां 45, 116, 117 स्टीवेंसन, एस. 54 स्थानकवासी 137 स्थिति 23
षट्खंडागम 138, 140
सकारात्मक गुण 11 सकारात्मक बल 33 सकारात्मक योग 58 सक्रियण का समय 53 सजीव घटक 11 सत्यसारिणी, 124 सन्मतिसूत्र, 140 सप्तभंगी 108 समणसुत्तं 141 समभिरूढ़ नय 106 समयसार, 140 समग्रता सिद्धान्त 109, 129, -हाथी
और छह अंधे की उपमा, 111
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