Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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जैन धर्म की वैज्ञानिक आधारशिला
बल 39, 45, 140, अन्योन्यक्रियायें, 131,
अमूर्त, 12, चार बल 115, गतिक 39, चुम्बकीय, 23, प्राकृतिक 45, महा, 131, मूलभूत, 131, स्थितिक
39 बल-क्षेत्र कवच 21 बाधित वीर्य, 14 बारह भावनायें, 93 बाशम, ए. एल. 43, 45, 124 बिंबसार, श्रेणिक 134 बेरियॉन 120, 121 बोसॉन 120, 122
मूल गुण 34, 80 मूलसूत्र 138 मृत्यु 36 मेहता, बी. एल. 59 मैत्री 64 मोक्ष 22 मोटर-चालन की उपमा 73 मोटर का संचालन और आध्यात्मिक
विकास 102
यशोदा 131 यशोविजय 140 योग 50, 99, जैन 50 69, सकारात्मक,
नकारात्मक 50, 58 योगशास्त्र 143 योगसूत्र 140
भगवती 138 भगवानदीन, महात्मा 91 भरूचा, एफ. 109 भारी कर्म-पुद्गल 22 भौतिक घटक 11
रत्नत्रय 97, 104, 135 रदरफोर्ड 116 रस 42, - के पांच प्रकार 43 रागद्वेष 1 राग-समूह 54 रायचंद भाई 3 ऋजुसूत्र नय 106 रिषभदेव 1, 3, रेडियोधर्मिता 155 रौद्र ध्यान, 97
मगध 1 मतिज्ञान 105 मन 43, छठी इंद्रिय, 43, स्वस्तिक, 30 मनुष्य अवस्था, 28, 30 मनोगुप्ति, 92 मनःपर्यव ज्ञान 105, 106 मरडिया, के. वी. 64, 67, 100, 110,
112, 114 महलनोबिस 109, 127 महावीर 64, 70, 131, 144 – की मूर्ति
5, जीवनवृत्त 131, तीर्थंकर के रूप ___ में 133, वर्धमान 131 महाव्रत 91 माटीलाल, बी. के. 112 मान 54, 55, 56 मानसिक अवस्थायें देव, नारक, पशु,
मनुष्य 30 माया 53, 54 मांस-परिहार, 71 मिथ्यात्व/मिथ्यादर्शन 49, 50, 92-94 मीसॉन 117, 118, 135 मुक्त आत्मा 13, 23 मुक्ति 13, 18 मुख्तार, जे. के. 64
लघु कर्म पुद्गल 1,9 लेप्टॉन 117, 118 लेश्या 129 लोभ 56, 64 लोकाशाह 6, 10
वर्ण 42 के पांच प्रकार 43 वर्णकूट/लेश्या 129 वायुकायिक 25, 35 विकासवाद 115 विग्रह गमन/गति 51, 54 विद्यानंद 140 विद्युत् चुम्बकीय बल 119 विद्युत् चुम्बकीय तरंग 47 विपर्यस्त वीर्य 37
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