Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 170
________________ 145 मोक्ष की और मनुष्य निम्नतर जीवन | उच्चतर जीवन 2 चित्र प.4.1 सांप और सीढ़ी के माध्यम से गुणस्थान-संक्रमणों का निदर्शन। यहां (X) अंक गुणस्थान के क्रमाक X को व्यक्त करता है। खेल के नियम : 1. सिक्के के 'पृष्ठ' के उछाल पर 1 अंक मिलेगा और 'शीर्ष के उछाल पर 2 अंक मिलेंगे। 2. सिक्के के पृष्ठ के उछाल से ही प्रारम्भ होता है। इससे प्रथम चरण (गुणस्थान) प्रारम्भ होता है। 3. यदि दूसरी वार ‘पृष्ठ' उछलता है, तो गोटी वर्ग 2 पर रखी जाती है। अब पुन: पृष्ठ उछालने पर वर्ग 3 पर गोटी जाती है और तीसरा गुणस्थान प्राप्त होता है। 4. वर्ग 4 केवल चरण 7 से अधःपतन पर ही प्राप्त हो सकता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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