Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 171
________________ संदर्भ ग्रंथ सूची अ. प्राकृत, संस्कृत या हिन्दी के ग्रंथ और उनके अनुवाद 1. आचारांगसूत्र; प्राकृत-मूल और मधुकर मुनि का हिन्दी अनुवाद; आगम प्रकाशन समिति, व्यावर, 1980. 2.. आचारांगसूत्र (अंग्रेजी अनुवादक : एच. जैकोबी) : जैन सूत्राज भाग-1, डोवर पब्लिकेशन्स, न्यूयार्क से पुनः प्रकाशित, 1968 पे. 1-213. 3. आवश्यकसुत्र; जैन आगम सीरीज, खंड 15, श्री महावीर जैन विद्यालय, बंबई, 1977 4. उत्तराध्ययनसूत्र; प्राकृत ग्रंथ; अनु. के. सी. ललवानी, प्रज्ञानं, कलकत्ता, 19773; अनुवाद : एच. जैकोबी, जैन सूत्राज भाग - 2, डोवर पब्लिकेशन, न्यूयार्क से पुनः प्रकाशित, 1968 पेज 1-232. 5. दशवैकालिकसूत्र (अंग्रेजी); अनुवादक के.सी. ललवानी, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, 1973. 6. कल्पसूत्र (अंग्रेजी); अनु. एच. जैकोबी; जैन सूत्राज, खंड 2, डोवर पब्लिकेशन्स, न्यूयार्क से पुनः प्रकाशित, 1968. 7. कर्मग्रंथ, भाग 1-6; देवेन्द्रसूरि, हिन्दी अनु. एस.एल. सिंघवी, वर्धमान स्थानकवासी जैनधर्म शिक्षा समिति, बडौत (मेरठ), 1984. 8. तत्त्वार्थसूत्र : उमास्वाति (मि) कृत, पं. सुखलालजी की टीका के साथ मूल संस्कृत ग्रंथ, अंग्रेजी अनुवादक के. के. दीक्षित, एल.डी. इंस्टीस्यूट आफ इंडोलोजी, अहमदाबाद, 1974. 9. तत्त्वार्थसूत्र; अंग्रेजी अनुवाद : दैट व्हिच इज', नथमल टाटिया, पी. एस. जैनी आदि, हार्पर कोलिन्स, लंदन, 1994. (सेक्रेड लिटरेचर सीरीज) 10. महापुराण, भाग 1-3; पुष्पदंत, अपभ्रंश ग्रंथ, (सं.) पी. एल. वैद्य; माणिकचंद्र दि. जैन ग्रंथमाला, बंबई, 1937-47. 11. नियमसार; कुंदकुंद; अंग्रेजी अनु. उग्रसेन जैन, सेंट्रल जैन पब्लिशिंग हाउस, लखनऊ, 1931. 12. पंचास्तिकाय-सार; कुंदकुंद, संस्कृत और अंग्रेजी अनुवाद ए चकवर्ती और ए एन उपाध्ये, भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली 1975 13. प्रवचनसार; कुंदकुंद का प्राकृत ग्रंथ (अमृतचंद की तत्त्वदीपिका, जयसेन की तात्पर्यवृत्ति और हेमराज पांडे की बालावबोध भाषा टीका के साथ). (संपा.) ए. एन. उपाध्ये, राजेन्द्र जैन शास्त्रमाला, अगास, 1934. 14. समणसुत्तं; सर्व सेवा संघ, वाराणसी, 1993. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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