Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 172
________________ संदर्भ ग्रंथ सूची 147 15. समयसार; कुंदकुंद का प्राकृत ग्रंथ (अमृतचंद्र की आत्मख्याति टीका के साथ), मूल ग्रंथ और अंग्रेजी अनुवाद : ए. चकवर्ती, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, द्वितीय संस्करण 1971, 16. योगशास्त्र; हेमचंद्र, हिन्दी अनुवाद के साथ मूल संस्कृत ग्रंथ, अनु. मुनि पद्मविजय, श्री निग्रंथ साहित्य प्रकाशन संघ, दिल्ली 1975 17. विशेषावश्यक भाष्य; जिनभद्रगणि : संपादक नथमल टाटिया; रिसर्च इस्टीटयूट ऑफ प्राकृत, जैनोलोजी एण्ड अहिंसा, वैशाली, 1972 18. विश्वप्रहेलिका; महेन्द्र मुनि, जवेरी प्रकाशन, माटुंगा, बंबई, 1969. 19. कषाय; साध्वी हेमप्रज्ञा, विचक्षण प्रकाशन, इंदौर, 1999. 20. ग्यारह प्रतिमायें; महात्मा भगवानदीन, प्रबुद्ध जैन विचार मंच, कलकत्ता-7, 2000. 21. मेरी भावना; जुगल किशोर मुख्तार, जैन साहित्य सदन, नई दिल्ली, 1981. 22. तीर्थंकर वर्धमान; मुनि विद्यानंद, वीर निर्वाण ग्रंथ प्रकाशन समिति, इंदौर, 1973. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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