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परिशिष्ट - 1 भगवान् महावीर का जीवन वृत्त
भ. महावीर का जन्म 599 ई०पू० में (क्षत्रिय) कुंडग्राम (वैशाली, बिहार, भारत) में हुआ था। उस समय यह उत्तर भारत में आधुनिक पटना नगर के पास ही एक बड़ा नगर था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ थे और माता त्रिशला थीं। उनका सर्वप्रथम नाम 'वर्धमान' था। इसका कारण यह था कि जबसे उनकी मां गर्भवती हुई, तभी से राज्य में सभी प्रकार की सुख-समृद्धि होने
लगी थी। उन्होंने अपने प्रारम्भिक जीवन में ही बौद्धिक विकास किया और पशुओं से घनिष्ठता स्थापित की। उन्होंने अपने बाल्यकाल में एक भयंकर सर्प को साहसपूर्वक वश में कर लिया था। उन्होंने एक मदोन्मत्त हाथी को भी वश में किया था जिससे वह जनधन को हानि न पहुंचा सके। उन्होंने एक आततायी पर भी विजय प्राप्त की। इसीलिये उनका नाम 'महावीर' (महान् बहादुर) रखा गया।
उन्हें लगभग निश्चित रूप से, तत्कालीन राजकुमारों के योग्य साहित्य, राजनीति, धनुर्विद्या, गणित आदि के समान विभिन्न कलाओं एवं विषयों का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। वे बहुत बुद्धिमान थे। उनके गुरु ने भी यह माना था कि महावीर का ज्ञान उनसे कहीं अधिक श्रेष्ठ है।
वे सामान्य रूप से ही राजकुमार के रूप में घर पर रहे। उनका विवाह यशोदा के साथ हुआ। (यह श्वेताम्बर परम्परा मानती है, पर दिगम्बरों के अनुसार, उनका विवाह नहीं हुआ था। उनकी प्रियदर्शना नाम की पुत्री थी, जिसका विवाह जामालि के साथ हुआ था)। एक परम्परा के अनुसार, जब वे 28 वर्ष के थे, तब राजमहल के बाहर पर्यटन पर गये। वहां उन्होंने देखा कि एक मालिक अपने दास को कोड़े मार रहा है। इस घटना से वे बड़े दुःखी हुए कि समाज के धनी व्यक्ति अशिक्षित, अज्ञानी और निर्धन व्यक्तियों का शोषण करते हैं। फलतः उनके मन में घर-बार छोडनें की इच्छा जागृत हुई। लेकिन उनके मन में अपने माता-पिता के प्रति गहन स्नेह था। इसलिये उन्होंने यह विचार किया कि उनकी मृत्यु होने तक वे
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