Book Title: Jain Dharm ki Vaignanik Adharshila
Author(s): Kanti V Maradia
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 144
________________ जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान 119 10.3. प्रकृति में विद्यमान चार बल प्रकृति में विद्यमान चार मूलभूत बल निम्न हैं : 1. गुरुत्वीय बल 2. विद्युत्-चुम्बकीय बल 3. दुर्बल न्यूक्लीय बल 4. प्रबल न्यूक्लीय बल ये सभी बल गॉज बोसॉनों के माध्यम से अपना कार्य करते हैं। विभिन्न कण गॉज बोसॉनों के माध्यम से उसी प्रकार अन्योन्य-क्रिया करतें हैं. जैसें दो स्केटरों (बर्फ पर खेलने का खेल) के बीच हिम-कंदुक (बर्फ की गेंद) का विनिमय होता है। उदाहरणार्थ, किन्ही भी दो इलेक्ट्रॉनों (स्केटरों) के लिये, फोटान (हिम-कंदुक) एक इलेक्ट्रॉन को यह बताता है कि दूसरा इलेक्ट्रान कहां है और फिर उसे अनुक्रिया के लिये प्रेरित करता है। यह विद्युत-चुम्बकीय बल है (चित्र 10.2 अ देखिये)। जब दो स्केटरों, (मान लीजिये कि वे अ और ब हैं, चित्र 10.2 ब) में से एक अ दूसरे स्केटर ब की ओर हिम-कंदुक (फोटान) उत्सर्जित करता है और स्वयं प्रतिक्षिप्त (दुर्बल न्यूक्लीय बल) हो जाता है। तब हिम-कंदुक विच्छेदित होता है या अवशोषित होता है। ये सभी फेनमैन के रेखाचित्र कहलाते हैं। बहिर्गामी इलेक्ट्रॉन बहिर्गामी इलेक्ट्रॉन फोटॉन अंतर्गामी इलेक्ट्रॉन अंतर्गामी इलेक्ट्रॉन चित्र 10.2 अ दो इलेक्ट्रॉन एवं उनके क्रमिक पथ : विद्युत चुम्बकीय बल गॉज बोसॉन 'फोटॉन' के साथ। (टेढी-मेढ़ी रेखा) यहां यह स्मरण रखना कि परमाणुओं के न्यूक्लियस में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के बीच कार्यकारी बल प्रबल न्यूक्लीय बल है (देखिये, चित्र 10.1)। यह प्रबल न्यूक्लीय बल रंगीन ग्लुऑनों के माध्यम से बेरिऑन के मध्य कार्यकारी होता है (चित्र 10.3 देखियें)। ये बेरिऑन कण इस प्रबल बल का अनुभव करते हैं जबकि लेप्टॉन इस बल का अनुभव नहीं करते, क्योंकि उनमें कोई वर्ण ही नहीं होता। शक्तिशाली क्वार्क ग्लुऑनों को विकिसित करते हैं और जैसे ही वे विसर्जित होते हैं, उन्हें अपना वर्ण उदासीन करना होता है। इस कार्य को वे अन्य दृश्य कणों, मुख्यतः मीसानों के माध्यम से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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