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जैन तर्कशास्त्र
=
4. ?
संभवतः, यह अवक्तव्य या अनिश्चित है
5.
संभवतः, यह है और यह अवक्तव्य भी है
6.
- ? = संभवतः, यह नहीं है और यह अवक्तव्य भी है
7. ° ? = संभवतः, यह है और यह नहीं है और यह अवक्तव्य भी है
चित्र 9.1 सात आपेक्षिक कथनों का योजनाबद्ध निदर्शन
+ ?
=
+ = भारी बड़े अक्षर;
बड़े अक्षर ; ?
टेड़े बड़े अक्षर
इस प्रकार, इस परीक्षण के आधार पर हम गुणात्मक निर्णय पर पहुंच सकते हैं। इसका योजनाबद्ध निरूपण चित्र 9.1 में किया गया है। हम यह जानते हैं कि प्रत्येक निरीक्षण में निरीक्षक समाहित होता है। उपर्युक्त सिद्धान्त में निरीक्षक के बिना ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है, लेकिन इसमें थोड़ी बहुत त्रुटि की सीमा समाहित रहती है ।
=
कोठारी (1975) ने बताया है कि क्वांटम यांत्रिकी का अध्यारोपण सिद्धान्त (सुपर- पोजीशन प्रिंसिपल) स्याद्वाद का एक निदर्शक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
मान लीजिये कि किसी क्वांटम यांत्रिक तंत्र के लिये, Kets (a) |a' > and (b) |a" > किसी भी निरीक्षण अवस्था, a की आइजन - अवस्थायें हैं। साथ ही, यह भी मान लीजिये कि इस तंत्र के लिये अवक्तव्य अवस्था को (c) | P > = |> + la"| a' > के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । फलतः चित्र 9.1 की शब्दावली में, हम उपरोक्त परिमाणों को निम्न प्रकार पहचान सकते हैं:
(a) by +, (b) by -, एवं (c) by = ?.
भरूचा (1993) ने स्याद्वाद और क्वांटम तर्कशास्त्र की 'सत्य सारणी (ट्रुथ टेबल) प्रस्तुत की है ।
महलनोबिस, (1954) ने स्याद्वाद के सात कथनों को सांख्यकीय रूप में निम्न रूप में प्रस्तुत किया है :
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109
3c1
+ 3 c2
9.4 सापेक्ष समग्रता का सिद्धान्त या अनेकांतवाद
अभी हमने सापेक्ष कथनों के द्वारा किसी प्रश्न के उप- अंगो या विविध पक्षों के निरीक्षण की विधियों का वर्णन किया है। तथापि, यह ध्यान में
+
33
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7.
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