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जन्म-मरण के चक्र
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भी माना जाता है। (उदाहरणार्थ, देखिये, किट पैडलर, 1981)। नयी विवेचनाओं ने प्रकाश, विद्युत, ध्वनि, गैस आदि का अधिक विश्वसनीय वर्गीकरण किया है जहां सूक्ष्म-स्थूल और स्थूल-सूक्ष्म कोटि का विवेचन इंद्रिय-ग्राह्यता या दृश्यता की अपेक्षा कणों के विस्तार के आधार पर किया गया है। (देखिये, एन.एल. जैन., 1993)।
पुद्गल की पांचवी कोटि 'स्थूल' है जो द्रवों के समकक्ष मानी जाती है। इसकी अंतिम कोटि “स्थूल-स्थूल' है जो ठोस पदार्थों के समकक्ष मानी जाती है।
ये पुदगल की विभिन्न अवस्थायें हैं। सारणी 4.2 में पुद्गल के इस वर्गीकरण का संक्षेपण दिया गया है। हमने यहां पुद्गल के विविध वर्गीकरणों में केवल एक प्रकार का वर्गीकरण ही दिया है। उदाहरणार्थ, जैनों ने एक वैकल्पिक वर्गीकरण भी किया हैं जहां पुद्गल परमाणु-समूह (वर्गणा) के तेईस प्रमुख प्रकार बताये गये हैं जो पदार्थों में विद्यमान अंतिम कणों की सघनता की कोटि पर आधारित हैं। (देखिये, जवेरी, 1975, पेज 58-61).
सारणी 4.2 : पुद्गल का वर्गीकरण क्रमांक
परिभाषा अ-1 चरम कण (U.P.) : सूक्ष्मतम चरम कण, चरम
परमाणु अ-2 अणु या स्कंध के छह भेद सूक्ष्म-सूक्ष्म
अंतिम कणों से निर्मित कार्मन, कार्मिक शरीर परमाणु
एवं कार्मिक संपुट के बीच की कोटि,
न्यूक्लीय ऊर्जा, विद्युत, सूक्ष्म
कार्मन-कणों से निर्मित कार्मिक पुद्गल
अणु और स्कंध सूक्ष्म-स्थूल
चक्षु को छोड़ अन्य चार ध्वनि, ऊष्मा, गैस
इंद्रियों से ग्राह्य पुद्गल आदि स्थूल-सूक्ष्म
चक्षु से ग्राह्य पर अन्य प्रकाश
इंद्रियों से अग्राह्य स्थूल
बाह्य -द्रव्यों के बिना द्रव पदार्थ
स्वयं-संयोगी पदार्थ स्थूल-स्थूल
बाकी सभी कोटि के पदार्थ ठोस पदार्थ
उदाहरण
जिस प्रकार आत्मा (या जीव) का लक्षण जीवन या चैतन्य है जिसमें सुख, वीर्य, ज्ञान और दर्शन के घटक समाहित हैं, उसी प्रकार पुद्गल या
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