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जन्म-मरण के चक्र
अवस्था (गति या शरीर) से दूसरी अस्तित्व अवस्था (गति या शरीर) के ग्रहण करने के लिये यात्रा करने में भी सहायक होता है। इसके विपर्यास में अधर्म द्रव्य आत्मा को गर्भ में स्थापित करने में सहायक होता है।
हमनें इन दो द्रव्यों को गति-माध्यम और स्थिति-माध्यम के रूप में माना है, लेकिन हम उन्हें दो बलों के रूप में भी मान सकते हैं : 1. गतिक बल और 2. स्थितिक बल। ये बल जीव एवं अजीव-दोनों तंत्रो पर कार्यकारी होते हैं। आधुनिक भौतिकी में प्रसिद्ध चार प्राकृतिक बलों के साथ इन बलों का क्या संबंध हैं, यह अध्याय 10 में विवेचित किया जायगा।। काल : काल द्रव्य भी अन्य द्रव्यों से प्रभावित नहीं होता। जैन यह मानते हैं कि समय की अनेक इकाइयां (digital) होती हैं अर्थात् समय में विविक्त समय कणों की अनेक श्रेणियों होती हैं जिनमें विस्तार या आयाम नहीं होता। उदाहरणार्थ, जब कोई विशेष काल-क्षण को अभिलेखित किया जाता है, तब प्रत्येक क्षण विस्तारहीन होता है। काल एक द्रव्य है जिसका न आदि है और न अन्त है। जैनों ने क्षेत्र और काल की अन्योन्यक्रिया को ध्यान में रखकर इसे चौथा आयाम माना है। काल, क्षेत्र तथा अन्य द्रव्यों के विस्तृत विवेचन के लिये बाशम का लेख, 'जैनीज्म एण्ड बुद्धिज्म' (1958, पेज 78) देखिये। पुद्गल (पदार्थ और ऊजा) : यहां यह बता देना उचित है कि हम 'पुदगल' शब्द का अनुवाद 'पदार्थ' करेंगें लेकिन जैन विज्ञान में इस शब्द में 'भौतिक ऊर्जायें' (विद्युत, ऊष्मा, प्रकाश आदि) भी समाहित होती हैं। (इसलियें इसे 'पदार्थोर्जा' (मैटर्जी) भी कह सकते हैं)। जैनों का यह पारिभाषिक शब्द (पुद्गल) दो शब्दों से मिलकर बना है - 1. 'पुत्' (संयोग, संयोजन) और 2. गल (वियोजन, भंजन)। इससे पदार्थ के उत्पाद और विनाश या व्यय की प्रक्रिया को केंद्रीय महत्त्व मिलता है। यहां 'विनाश' पद का आपतित अर्थ यह है कि पदार्थ ऊर्जा में परिवर्तित होता है और ऊर्जा पदार्थ में परिवर्तित होती है। इसके लिये वैज्ञानिक पद 'द्रव्यमान-ऊर्जा' है, पर यहां ‘पदार्थ-ऊर्जा' पर जोर दिया जाता है।
__ अन्तिम रूप में, पदार्थ या पुद्गल 'अन्तिम कणों या 'चरम परमाणुओं' (U.P.) से बना होता है। इस प्रकार यही वे कण हैं जिनसे कार्मन-कण बनते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं : 1. कार्य-परमाणु और 2. कारण परमाणु (स्कंध बनाने वाले)। कार्मिक शरीर में सबसे कम (अल्पतम) कार्मन-कण होते हैं। कार्मिक संपुट में इससे अधिक कार्मन-कण होते हैं। एक 'अंतिम कण अधिक से अधिक एक प्रदेश (आकाश-बिन्दु) अधिष्ठित करता है।
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