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जैन धर्म की वैज्ञानिक आधारशिला
यहां 'मूलभूत तत्त्वों' का तात्पर्य नौ तत्त्वों से है और 'जीवन' का अर्थ 'आत्मा' है तथा 'अन्य घटकों से तात्पर्य आत्मा को छोड़ अन्य आठ तत्त्वों से है । इसलिए, जैनों के अनुसार, कोई विशिष्ट पुरुष या शक्ति विश्व का सृष्टिकर्ता नहीं है। यहां जैन विज्ञान में वर्णित नौ तत्त्वों पर विश्वास की बात कही गई है, फलतः जैन धर्म को कभी-कभी नास्तिकवादी धर्म कहने के बदले परा - अनीश्वरवादी धर्म कहा जाता है। जैन धर्म में ईश्वर की सत्ता के विरोध में दिये जाने वाले अनेक तर्कों में एक तर्क यह है:
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"यदि संसार को किसी ने बनाया होता, तो इससे यह संकेत मिलता है कि तथाकथित ईश्वर के मन में यह इच्छा रही होगी कि वह जीवन के निम्न स्तर वाले जीवों का भी निर्माण करे जो अपने आध्यामिक विकास के निम्नतम स्तर पर हों अर्थात् वे पूर्ण - आत्मा के स्तर से पर्याप्त दूरी के स्तर पर हों। इसके साथ ही, ईश्वर की परिभाषा के अनुसार, एक पूर्ण एवं उच्चतम स्तर के प्राणी को पूर्ण संसार की ही रचना करनी चाहिये। इस विषम और असंतुलित विश्व की रचना नहीं करनी चाहिये। इस प्रकार, उच्चतर स्तर का ईश्वर इस संसार का कर्ता-निर्माता नहीं हो सकता । "
2.4
महत्त्वपूर्ण संदृश्यतायें या अनुरूपतायें
उपरोक्त विवरण में हमने विभिन्न पारिभाषिक शब्दों को केवल भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग कर परिभाषित किया है। हमने उन शास्त्रीय अनुरूपताओं पर ध्यान नहीं दिया है जिनके कारण जैन साहित्य और सिद्धांत किंचित् अस्पष्ट से लगते हैं। फिर भी, कार्मन आत्मा आदि को उनके गुणों के द्वारा ही जाना जा सकता है। चूंकि इनका ज्ञान केवल उनके प्रभावों के द्वारा ही किया जा सकता है, अतः हम यहां ऐसी विविध अनुरूपतायें या उदाहरण देंगे जिनके आधार पर उनके विभिन्न गुणों को समझाया जाता है । तथापि, यह ध्यान में रखना चाहिये कि प्रकाश कण और तरंग- दोनों के गुण प्रदर्शित कर सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम किस रूप में उसका वर्णन करना चाहते हैं । वस्तुतः प्रकाश तो प्रकाश ही है। इसी प्रकार, पदार्थों के गुण भी पदार्थ की विलक्षणता को वर्णित नहीं कर सकते। यही तर्क कार्मन और आत्मा के वर्णन पर भी लागू होता है।
2.4.1. चुम्बकत्व
हम संदूषित आत्मा को एक चुम्बक के समान मान सकते हैं। यह लौह कणों को आकर्षित करता है । इन्हें हम कार्मन - कण मान सकते हैं। चुम्बकीय बल रेखायें कार्मिक बल - रेखाओं के समकक्ष हैं और लौह- कणों
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