Book Title: Dharm Pariksha Part 03
Author(s): Chandrashekharvijay
Publisher: Kamal Prakashan Trust

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Page 25
________________ Aधर्मपरीक्षा 03 , v RERAKAXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX अनुक्रमणिका विषय | आभिनिवेशिकमपि अनेकविधम् | सांशयिकमपि अनेकविधम् | अनाभोगिकमपि अनेकविधम् अनाभिग्रहिकसांशयिकानाभोगरूपाणि लघूनि आभिग्रहिकाभिनिवेशमिथ्यात्वे गुरुणी | उपदेशपदपाठः, तत्तात्पर्यञ्च माषतुषादीनामेव संशयानध्यवसायौ असत्प्रवृत्त्यननुबन्धिनौ, इति पूर्वपक्षः | मिथ्यादृशां संशयानध्यवसायौ विपर्यासशक्तियुक्तत्वादसत्प्रवृत्ति-अनुबन्धिनौ इति पूर्वपक्षः ९ मिथ्यादृशां शुभपरिणामोऽपि फलतोऽशुभ एवेति उपदेशपदपाठमाश्रित्य पूर्वपक्षः | एकादशी गाथा | मिथ्यादृशां मिथ्यात्वमन्दतयाऽपि माध्यस्थ्यम् सदन्धन्यायः १३ | सदन्धन्यायप्ररूपको ललितविस्तरापाठः १४ गाढमिथ्यादृशां मोक्षक्षयोपशमाभावेऽपि कारणान्तराद् रागद्वेषमन्दता भवति, | सा च पापानुबन्धिपुण्यहेतुः १५ | मोहापकर्षप्रयुक्ता रागद्वेषमन्दता पुण्यानुबन्धिपुण्यहेतुः १६ द्वादशी गाथा १७ | अनाभिग्रहिकमिथ्यात्वमपि शोभनम् १८ | अनाभिग्रहिकं मिथ्यात्वं सर्वदेवगुर्वादिश्रद्धानलक्षणं शोभनम् १९ वीतरागसम्बन्धि अविशेषश्रद्धानमपि दशाभेदेन गुणकारि योगबिन्दुपाठः २१ | 'सर्वदेवनमस्कर्तृणां दुर्गतिगमनाभावः' इति पाठः २२ | चारिसञ्जीवनीचारन्यायः २३ | चारिसञ्जीवनीचारन्यायप्रतिपादिका कथा २४ | गुणाधिक्यपरिज्ञानाद् वीतरागदेवभक्तिरिष्यते 双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双双蒸熟熟双双双双球球球球球装双双双双双双模双双双双双双球球球双双双双双双双 મહામહોપાધ્યાય યશોવિજયજી વિરચિત ધર્મપરીક્ષા - ચન્દ્રશેખરીયા ટીકા + વિવેચન સહિત છે ૨૪

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