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एस धम्मो सनंतनो
धीरे-धीरे हवा उड़ाकर ले गयी, एक अपूर्व सुगंध वहां छा गयी।
वह मछली बुद्ध के सामने पश्चात्ताप करके मरी। किसी और बुद्ध के साथ धोखा किया था। लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है। किसी और बुद्ध से क्षमा मांग ली। क्षमा का शब्द भी नहीं बोली, लेकिन भाव से मांग ली।
राजा चूक गया; मछली पा गयी। ऐसी उलटी दुनिया है! राजा अभी भी बैठा देख रहा है। राजा के संबंध में कथा कुछ नहीं कहती। शायद सोच में पड़ा हो कि यह मछली से कैसे कहलवाया? कोई धोखा-धड़ी तो नहीं है? कोई बुद्ध वेन्ट्रीलोकिस्ट तो नहीं हैं। ____ तुमने वेन्ट्रीलोकिस्ट देखे न? मेरे एक संन्यासी हैं-सर्वेश। वे मूर्ति को बुलवा दें। गुड्डे को बुलवा दें। बोलते खुद ही हैं। उनका ओंठ भी नहीं हिलता। ओंठ बंद, और गुड्डे को बुलवा दें।
सोचा होगा राजा ने ये कोई वेन्ट्रीलोकिस्ट तो नहीं हैं यह गौतम बुद्ध ? मछली को बुलवा दिया! कहीं धोखा-धड़ी तो नहीं है? कोई और जालसाजी तो नहीं है! कहीं कोई टेपरेकार्ड इत्यादि तो नहीं छिपा रखा है? कि कहीं कोई ग्रामोफोन तो नहीं लगा रखा है? कि ऐसा लगे कि मछली बोल रही है और मछली सिर्फ मुंह हिला रही हो!
राजा तो चूक ही गया; मछली नहीं चूकी। अहंकारी चूक जाते हैं। मछली ने काफी भोग लिया दुख। पहली दफा चूक गयी थी बुद्ध को, इस बार नहीं चूकेगी। और एक क्षण में क्रांति घट गयी। सुवास फैल गयी। जैसे फूल खिला हो, ऐसे उसकी आत्मा खिल गयी और उड़ गयी। छोड़ गयी देह को। पहुंच गयी परम में।
एक सन्नाटा छा गया। बड़ी देर तक कोई कुछ नहीं बोला। ऐसे क्षणों में कोई बोले, तो क्या बोले! ठगे रह गए लोग। अवाक रह गए। लोग संविग्न हो गए।
संविग्न महत्वपूर्ण शब्द है। संविग्न का अर्थ होता है, लोग भावाविभूत हो गए। लोगों को अपनी कथा दिखायी पड़ने लगी। जो समझदार थे, जो वहां भिक्ष सच में ही बोध रखते थे, वे संविग्न हो गए। उन्हें अपनी कथा दिखायी पड़ गयी। उन्हें अपने जीवन का धोखा, अपने जीवन की बेईमानी दिखायी पड़ गयी। उनमें बहुत होंगे, जिनमें पांडित्य की अकड़ थी। शायद उनकी पांडित्य की अकड़ गिर गयी।
उस क्षण अचिरवती नदी में गिरने से बहुत लोग बच गए होंगे। उस क्षण बाहर-बाहर सोना और भीतर-भीतर दुर्गंध हो जाने की दुर्घटना से बहुत लोग बच गए होंगे।
कुछ उसमें ऐसे भी होंगे, जिन्होंने कहा होगा कि नहीं, ये सब कहानियां हैं। मैं कोई अकड़ा हुआ अहंकारी नहीं हूं। मेरा ज्ञान सच्चा है। यह रहा होगा पंडित, यह कपिल चूका। लेकिन मेरा ज्ञान सच्चा है। मैंने कोई किताबों से नहीं लिया है। यह मेरा है। शायद ऐसे लोग चूक भी गए होंगे।
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