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बुद्धत्व का कमल
जाएगा। क्योंकि यह फूल तो खो जाएगा। इसके पहले कि खो जाए, इसे शाश्वत कर देना है। इसके पहले कि यह खो जाए, इसके भागते हुए सौंदर्य को पकड़ लेना है।
अलग-अलग लोग अलग-अलग ढंग से एक ही फूल को देखेंगे।
बुद्ध ने कैसे देखा? बुद्ध उस दिन आए। राह पर किसी ने उन्हें कमल का फूल भेंट कर दिया था। बे-मौसम का फूल था।
इस कथा के पीछे एक और कथा है। उस कथा को भी समझो।
एक गरीब आदमी सुबह उठा। उसने अपने मकान के पीछे पोखरे में कमल का बे-मौसम फूल खिला देखा। ऐसा कभी नहीं देखा था उसने। यह समय न था फूल खिलने का। इस समय फूल कभी खिलता ही नहीं था कमल का।
उसने फूल तोड़ा और सोचा कि कौन इसके दाम दे सकेगा! सम्राट ही दे सकता है दाम। और तो कोई पहचानेगा क्या! बे-मौसम का हो कि मौसम का हो, फूल फूल है। सम्राट तक कैसे पहुंच पाएगा! _ऐसा सोचता वह राजमहल की तरफ जाता था; तब उसे राह पर वजीर का रथ आता हुआ मिला। वजीर ने उसके हाथ में बे-मौसम का फूल देखा। रथ रोका। और कहा : कितना लेगा इसका? __ उस गरीब आदमी की हिम्मत कितनी; उसने कहा कि सौ रुपए मिल जाएं। वजीर ने कहा कि हजार दूंगा, फूल मुझे दे। जब वजीर ने कहाः हजार रुपए दूंगा, फूल मुझे दे; तब वह गरीब आदमी थोड़ा चौंका। उसने सोचाः मामला इतने सस्ते में बेच देने जैसा नहीं लगता। और यह वजीर ही है। काश! सम्राट से मिलना हो जाए, तो पता नहीं कितना मिले। उसने कहा कि नहीं; नहीं बेचूंगा। क्षमा करें। माफ करें। बेचूंगा ही नहीं। दस हजार रुपए देने को वजीर राजी था। लेकिन उसने कहाः नहीं; अब बेचना ही नहीं है मुझे। जैसे-जैसे रुपए बढ़ाता गया वजीर, वैसे-वैसे उसने कहा : मुझे बेचना नहीं है। __वजीर जा रहा था बुद्ध के दर्शन को। उसने सोचा, बुद्ध के चरणों में बे-मौसम का फूल! चाहे कितने में ही मिल जाए, ले लेने जैसा है। बुद्ध के चरणों में रखने जैसी चीज है। लेकिन उस गरीब आदमी ने नहीं बेचा। उस आदमी का नाम था सुदास। वह एक चमार था।
जैसे ही वजीर का रथ गया कि राजा का रथ आया। तब तो वह बड़ा प्रसन्न हो गया। सोचने लगा ः आज ये सब कहां जा रहे हैं सुबह-सुबह ! राजा ने भी फूल देखा; रथ रुकवाया। बोलेः इसके कितने दाम लेगा? जितना मांगेगा, उससे दस गुना देंगे। अब तो सुदास बड़ी मुश्किल में पड़ गया। जितना मांगे, उससे दस गुना मिल सकता है! दस हजार मांगे, तो लाख मिल सकता है। दस लाख मांगे, तो करोड़ मिल सकता है!
उसने कहा : महाराज! मैं गरीब आदमी। बड़ी मुश्किल में पड़ गया हूं! एक
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