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एस धम्मो सनंतनो
नाटक-मंडली में नहीं थे कि कमल पर खड़े रहे ! और कमल पर खड़े-खड़े करोगे भी क्या! लेकिन कमल प्रतीक है। ये पूरे खिल गए। ये पूरे खिलाव पर सवार हो गए - यह मतलब है । इनके भीतर कुछ भी अनखिला न रहा ।
तो बुद्ध का उस दिन हाथ में कमल के फूल को लेकर महाकाश्यप को दे देना, इन सब बातों की सूचना थी ।
फिर, फूल बिना कुछ कहे बहुत कुछ कहता है । मौन है उसका वक्तव्य । हालांकि खूब बोलता है फूल; वाणी से नहीं बोलता । तुम ठिठके खड़े रह जाते हो । कभी-कभी फूल तुम्हें ऐसा आकर्षित कर लेता है; कभी-कभी फूल में तुम्हें इस जगत का सर्वाधिक सौंदर्य झलकता हुआ दिखायी पड़ जाता है। फूल की कोमलता ! फूल का चुप मौन- संगीत ! बोलता नहीं, फिर भी अभिव्यक्ति है !
ऐसा ही तो बुद्धपुरुष का वक्तव्य है। ऐसा ही तो उस दिन बुद्ध चुप रहे। फूल को देखते रहे। महाकाश्यप समझा कि इस घड़ी में बुद्ध फूल ही हैं, और कुछ भी नहीं। आज बोलेंगे नहीं; आज जैसे फूल चुपचाप निवेदन करता है, वैसा ही निवेदन कर रहे हैं। आज तो वे ही समझ पाएंगे बुद्ध को, जो शून्य की भाषा समझ सकते हैं। महाकाश्यप समझ पाया। वह अकेला था, जो शून्य की भाषा समझ सकता था।
फिर, फूल को जब तुम देखते हो... जैसा बुद्ध ने उस सुबह देखा, शायद तुमने वैसा कभी देखा ही न हो। फूल को भी देखने-देखने के ढंग हैं। देखने वाले पर निर्भर करता है।
बगीचे में फूल खिले हैं; एक माली को ले आओ। वह तत्क्षण सोचने लगेगाः किन को तोड़ लूं, किन को बेच दूं बाजार में; कितने पैसे मिल जाएंगे ! उसे फूल में सिर्फ पैसे दिखायी पड़ेंगे। वह रुपए गिनने लगेगा।
किसी वैज्ञानिक को ले आओ। वह भी फूल को देखेगा। सोचने लगेगा : किन रासायनिक द्रव्यों से मिलकर बना है? वह विश्लेषण करने में लग जाएगा। वह फूल को तोड़कर जल्दी अपनी प्रयोगशाला में भागना चाहेगा - कि देख लूं छांटकर, काटकर, विश्लेषण करके कि क्या इसका राज है !
तुम एक कवि को लाओ। उसे न तो रुपए-पैसे दिखायी पड़ेंगे - उसे फूल को बाजार में बेचना नहीं है । बेचने की बात ही उसे जघन्य अपराध मालूम होगी । उसे फूल का विश्लेषण भी करना पाप मालूम होगा। फूल को तोड़ना ही पाप है । फिर फूल को खंड-खंड करना सौंदर्य की हत्या है। वह भी फूल को देखेगा और शायद उसके भीतर एक गीत उमगे । वह फूल की प्रशंसा में एक गीत गाए; स्तुति करे ।
और तुम किसी नर्तक को ले आओ। शायद वह, फूल जैसे हवा में नाच रहा है, ऐसा उसके आसपास नाचने लगे।
तुम किसी चित्रकार को ले आओ। वह अपनी रंग - तूलिका लाकर जल्दी ही केनवास पर इस फूल को उतारने में लग जाएगा। इसका प्रतिबिंब पकड़ने में लग
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