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एस धम्मो सनंतनो
कारण कोड़े मारने में और रस आ जाता; प्रतियोगिता छिड़ जाती। एक-दूसरे को हराने का भाव पैदा हो जाता।
ये वे ही लोग हैं, जो संसार में प्रतिस्पर्धा करते थे; अब संन्यास में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं! जरा भी कुछ बदलाहट नहीं हुई। समता आयी नहीं। शून्य निर्मित नहीं हुआ। पहले सुख मांगते थे, अब दुख मांगते हैं; मगर मांग जारी है। और जैसे एक दिन सुख मांग-मांगकर ऊब गए थे और दुख की तरफ झुक गए, ऐसे ही किसी दिन दुख मांग-मांगकर ऊब जाएंगे और फिर सुख की तरफ झुक जाएंगे।
समता का अर्थ है : इस सत्य को जानना कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। तुमने एक को मांगा, तो दूसरा भी मांग लिया गया। और जब तक दोनों रहेंगे-द्वंद्व रहेगा-तब तक तुम डांवाडोल रहोगे। जब तक द्वंद्व रहेगा, तब तक तुम शांत नहीं हो सकोगे। - तुम इस कोने से उस कोने जा सकते हो, घड़ी के पेंडुलम की तरह डोलते हुए। मगर मध्य में कब ठहरोगे?
देखा, घड़ी चलती है, पेंडुलम घूमता है तो। अगर पेंडुलम मध्य में रुक जाए, तो घड़ी रुक जाती है। ऐसे ही जिस दिन तुम मध्य में रुक जाओगे, समय रुक जाएगा।
इसलिए ज्ञानियों ने कहा है : मन समय है। महावीर ने तो आत्मा को नाम ही समय का दिया है। महावीर कहते ही आत्मा को समय हैं। इसलिए कुंदकुंद का प्रसिद्ध शास्त्र है : समय-सार।
मैं का भाव ही समय से पैदा होता है। मैं का भाव ही समय का मूल है। जिस दिन मैं मिटा, उसी दिन समय भी मिट गया। और मैं उसी दिन मिटता है, जिस दिन तुम मध्य में आ जाते हो। जब तुम दोनों में से कहीं नहीं डोलते; जब तुम्हारा कोई चुनाव नहीं रह जाता-तब समता।
इसलिए कृष्णमूर्ति ठीक कहते हैं- च्वाइसलेस अवेयरनेस। जब तुम चुनाव ही नहीं करो। जब तुम नहीं चुनोगे, तब तुम थिर हो जाओगे।
तो कभी-कभी शांत बैठकर अचुनाव की दशा में थोड़ी डुबकी लेना, तो तुम्हें सम शब्द का अर्थ मिलेगा। ये शब्द ऐसे नहीं हैं कि भाषाकोश में इनका अर्थ तुम खोजने जाओ, तो मिल जाए। भाषाकोश में अर्थ लिखा है, मगर उससे कुछ खुलेगा नहीं; राज प्रगट नहीं होगा। ये शब्द इतने बहुमूल्य हैं, अस्तित्वगत हैं, कि इनको तुम जानोगे अनुभव से, तो ही पहचानोगे।
और सम की अनुभूति हो जाए, तो धर्म का मूल सूत्र हाथ लग गया। फिर यही सम समता बन जाएगा; यही सम सम्यक्त्व बन जाएगा; यही सम समाधि बन जाएगा; यही सम संबोधि बन जाएगा। यही सम संवर-संयम बन जाएगा।
तो अर्थ हुआ सम काः धन और ऋण, विपरीत जो एक-दूसरे के हैं, एकदम बराबर वजन के हो जाएं, ताकि एक-दूसरे को काट दें और हाथ में शून्य बच रहे।
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