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मंजिल है स्वयं में
लेकिन जो कहा है...। __ ऐसा समझो कि बहुत लोगों ने अंगुलियां उठायीं चांद की तरफ। अंगुलियां अलग-अलग, चांद एक है। अंगुलियों पर जोर दोगे, तो भ्रांति खड़ी होगी। उसी भ्रांति से संप्रदाय पैदा होते हैं-हिंदू, मुसलमान, जैन, बौद्ध। अगर चांद को देखोगे, अंगुलियों को भूल जाओगे। अंगुलियां भूल ही जानी चाहिए। अंगुलियों का चांद से क्या लेना-देना ! इतना काफी है कि उन्होंने इशारा कर दिया चांद की तरफ। अब अंगुलियों को भूल जाओ, चांद को देखो। चांद एक है। अंगुलियां बनेंगी, मिटेंगी-चांद सदा है। एस धम्मो सनंतनो। ___इसलिए बुद्ध कहते हैं : संतों का धर्म कभी जराजीर्ण नहीं होता है। और जब भी कोई संत पैदा होता है, तब पुनरुज्जीवित हो जाता है। वही धर्म फिर साकार हो जाता है, फिर अवतरित हो जाता है। ___अवतार का और क्या अर्थ है? अवतार का अर्थ यह नहीं होता कि भगवान उतरता है। अवतार का इतना ही अर्थ होता है कि जो शाश्वत धर्म है, वह फिर से रूप लेता है।
बुद्ध में वही धर्म फिर से बोलता है जो कृष्ण में नाचा था। वही धर्म फिर रमण में मौन होकर बैठ जाता। वही धर्म अलग-अलग रूप लेता; अलग-अलग फूलों में खिलता है। लेकिन धर्म एक है। और जिनके पास देखने की आंखें हैं, वे उस एक को देख लेंगे। उन्हें अनेक के कारण भ्रांति पैदा न होगी।
लेकिन जिन धर्मों को हम जानते हैं, वे निश्चित जराजीर्ण होते हैं; सड़ते हैं। उनकी ही दुर्गंध से तो मनुष्य की आत्मा दुर्गंधपूर्ण हो गयी है। सारी पृथ्वी दुर्गंध से भरी है। क्योंकि तीन सौ धर्मों की लाशें सड़ रही हैं। और मोह के कारण उन लाशों को हम जाकर मरघट पर जलाते भी नहीं हैं। बाप-दादों का धर्म है-कैसे जला आएं! ___ यह हालत ऐसी ही है जैसे कि तुम्हारे घर में तुम्हारी मां मर जाए और तुम मोह के कारण उसकी लाश को घर में सम्हालकर रखो। आदर ठीक है, लेकिन लाश को तो मरघट पर जलाना ही पड़ेगा। उसको घर में रखोगे, तो मुश्किल में पड़ोगे। सारा घर बदबू से भर जाएगा। और अगर यह मोह जारी रहे, तो तुम्हारे घर में इतनी लाशें इकट्ठी हो जाएंगी कि जिंदा आदमियों को रहने का स्थान नहीं रह जाएगा। __फिर पिता मरेंगे, फिर भाई मरेगा, फिर पत्नी मरेगी। और तुम्हारे ही थोड़े, तुम्हारे पिता के पिता, उनकी लाशें, और लाशों के ढेर लग जाएंगे, अंबार लग जाएंगे। तो तुम्हारा घर में रहना असंभव हो जाएगा। मुर्दे तुम्हें मार डालेंगे!
यही हालत मनुष्य के मन की हो गयी है। सड़ जाता है, गल जाता है, फिर भी हम उसे फेंक नहीं देते। हमारा अतीत से बड़ा पागल मोह है। और अतीत के साथ जिनका पागल मोह है, उनका कोई भविष्य नहीं है। उनका भविष्य अंधकारपूर्ण है। जो अतीत से मुक्त होता है, उसी के भविष्य की शुरुआत होती है। जो गया, गया;
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