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एस धम्मो सनंतनो
उन पांचों में बड़ा विवाद हो गया कि किसका संवर दुष्कर है। प्रत्येक अपने संवर को दुष्कर और फलतः श्रेष्ठ बताता था। विवाद की निष्पत्ति नहीं हुई।
हो नहीं सकती। किसी विवाद की कभी नहीं होती। पांच हजार साल में कितने विवाद चले, लेकिन एक विवाद की भी निष्पत्ति नहीं है। निष्पत्ति विवाद की हो ही नहीं सकती। __आदमी सदियों से सोच रहा है : ईश्वर है या नहीं? जो कहते हैं : नहीं है, वे कहे चले जाते हैं, नहीं है। जो कहते हैं : है, वे कहे चल जाते हैं, है। कोई निष्पत्ति नहीं है। न तो आस्तिक नास्तिक से राजी हो पाता है; न नास्तिक आस्तिक से राजी हो पाता है। वेद को मानने वाला वेद की ही दुहाई दिए चला जाता है। कुरान को मानने वाला कुरान की दुहाई दिए चला जाता है। और सब अपने पक्ष में दलीलें निकाल लेते हैं। लेकिन न तो किसी को वेद से मतलब है; न किसी को कुरान से मतलब है। न किसी को ईश्वर से मतलब है; न ईश्वर के न होने से मतलब है। सबको मतलब है कि मेरी बात ठीक होनी चाहिए, क्योंकि मैं ठीक हूं।
जब तुम विवाद करते हो, तुमने खयाल किया, तुम्हें इसकी फिक्र नहीं होती कि सत्य क्या है। तुम्हें इसकी फिक्र होती है कि जो मैं कहता हूं, वह सत्य है या नहीं।
रस्किन का एक प्रसिद्ध वचन है कि दुनिया में दो तरह के लोग हैं : एक तो वे जो सत्य को अपने साथ चलाना चाहते हैं, अपने पीछे। जैसे कोई गाय को बांध ले रस्सी में, और चलाए अपने पीछे। ये ही लोग विवादी हैं। ये सत्य को अपने पीछे चलाना चाहते हैं। ये सत्य को भी अपना अनुगामी बनाना चाहते हैं। और दूसरे वे लोग हैं, जो सत्य के पीछे चलना चाहते हैं; सत्य जहां जाए, वहीं जाने को राजी हैं। सत्य अगर विपरीत विरोधी के शिविर में ठहरा है, तो वे वहीं जाने को राजी हैं। जहां सत्य है, वहां वे जाएंगे। वे छाया बन जाते हैं सत्य की। ये ही सत्य के खोजी हैं। ये ही खोज पाते हैं। विवादी नहीं खोज पाते।
विवादी का तो कहना यह है कि मैंने पा ही लिया। इसीलिए तो विवाद पैदा हो रहा है। वह तो कहता है : मैंने जान ही लिया। और मैं सिद्ध कर सकता हूं। __ और ध्यान रखना, तर्क सभी कुछ सिद्ध कर सकता है। तर्क वेश्या जैसा है। उसको कुछ लेना-देना नहीं है कि कौन ठीक है, कौन गलत है। तुम उपयोग करो, तो तुम्हारे काम आ जाता है; दूसरा उपयोग करे, तो उसके काम आ जाता है। तर्क वकील है।
एक बड़े वकील थे-डाक्टर हरि सिंह गौर। सागर विश्वविद्यालय का उन्होंने निर्माण किया। वे दुनिया के बड़े ख्यातिलब्ध वकीलों में एक थे। लेकिन कभी-कभी ज्यादा पी जाते थे।
प्रीवी कौंसिल में एक मामला था। किसी भारतीय रियासत का झगड़ा था। बड़ा मामला था। करोड़ों का मामला था। वे कुछ रात ज्यादा पी गए क्लब में। सुबह गए
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