________________
दर्पण बनो
फिर बुद्ध ने यह वचन क्यों कहा? मैं इसका दूसरा ही अर्थ करता हूं। मेरा अर्थ ऐसा है कि भाषा को जो ठीक से जान लेगा, वही भाषा से मुक्त होता है। जो ठीक से शब्दों के जाल को पहचान लेगा, वही निःशब्द में जा सकता है। क्योंकि शब्दों के पार जाना है, शब्दों को बिना जाने शब्दों के पार जाने में अड़चन होगी। जो व्यक्ति शास्त्रों को ठीक से जान लेता है, उसके लिए शास्त्र व्यर्थ हो जाते हैं । यही शास्त्र को जानने का लाभ है ।
इसलिए शास्त्रों पर मैं तुम्हारे सामने बोलता हूं, ताकि तुम ठीक से इन्हें जान लो; उसी जानने में तुम मुक्त हो जाओगे ।
इसलिए बुद्ध ने कहा कि मेरा बेटा राहुल शास्त्र का जानकार है। और शास्त्र का जानकार वही है, जो शास्त्र के पार हो जाए । जो अभी शास्त्र में ही उलझा रहे, उसने अभी ठीक से जाना नहीं। क्योंकि सभी शास्त्र यही कहते हैं कि शास्त्र से नहीं मिल सकता ।
अगोचर, अदृश्य, शब्दातीत है सत्य - सभी शास्त्र यही कहते हैं । उपनिषद यही कहते हैं; वेद यही कहते हैं; कुरान यही कहती है; बाइबिल यही कहती है। सभी शास्त्र यही कहते हैं कि तुम्हें शब्द से मुक्त होना पड़ेगा। क्योंकि वह अनिर्वचनीय है, अव्याख्य है। न उसकी कोई परिभाषा है, न कोई व्याख्या है।
तुम्हें सारे सिद्धांत छोड़ देने होंगे। तुम्हें बिलकुल ही शांत हो जाना पड़ेगा। सिद्धांत की सब धूल झाड़ देनी होगी। जब न तुम हिंदू होओगे, न मुसलमान, न ईसाई, न तुम्हारे भीतर कुरान, न वेद, न बाइबिल - तब तुम्हारे भीतर असली वेद, असली कुरान, असली बाइबिल जगेगी । तुम्हारा वेद जगेगा; तुम्हारी बाइबिल जगेगी; तुम्हारी कुरान जगेगी।
इसलिए बुद्ध ने कहा कि मेरा बेटा निरुक्त और पद का जानकार है, तुम उसे धोखा न दे सकोगे ।
कहते हैं : शैतान भी शास्त्र के उल्लेख कर सकता है।
बुद्ध यही कह रहे हैं कि मेरे बेटे को मार ! तू उलझा न सकेगा । मेरा बेटा शास्त्र
का जानकार है। तू शास्त्र के भी उल्लेख कर, तो भी तू उसे उलझा न सकेगा । मेरा
बेटा अज्ञान के तो पार गया है, पांडित्य के भी पार गया है।
4
अज्ञान के पार होना - पहला चरण; फिर ज्ञान के पार होना - दूसरा चरण । और दो ही कदम में परमात्मा की यात्रा पूरी हो जाती है।
और फिर बुद्ध ने यह भी कहा कि वह अक्षरों को आगे-पीछे रखना जानता है । यह और अजीब बात! अक्षरों को आगे-पीछे रखने से क्या होता है ? यह बुद्ध ने क्यों कहा !
यह सिर्फ एक मुहावरा है। इस मुहावरे का अर्थ होता है : मेरा बेटा कवि है । अक्षरों को आगे-पीछे रखना कवि की कुशलता है । कवि ही जानता है, अक्षरों को
205