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भीतर डूबो
तब चली जाने दो। न तो खींचो आने के लिए। न धकाओ जाने के लिए। ___ नदी अपने से ही बह रही है, इसको धकाने इत्यादि की कोई जरूरत नहीं है। जो नदी पर मुट्ठी बांधेगा, उसकी मुट्ठी खाली रह जाएगी। जल पी लो, स्नान कर लो, मुट्ठी मत बांधो। ____ और दूसरी बात : नदी अनजाने सागर की खोज कर रही है-अनजाने। नदी को कुछ पता नहीं, कहां जा रही है? क्यों जा रही है? मगर टटोल रही है सागर को। विराट की खोज में निकली है। कोई नक्शा भी पास नहीं है। कोई शास्त्र भी पास नहीं है। कोई वेद, कुरान, बाइबिल भी पास नहीं है। अनंत की खोज पर चली है बिना नक्शों के। कोई गुरु नहीं। किसी की अनुगामी नहीं। टटोल रही है अपने से। और पहुंच जाती है।
सभी नदियां पहुंच जाती हैं—यह तुमने देखा! छोटी नदियां पहुंच जाती हैं। बड़ी नदियां पहुंच जाती हैं। नदी-नाले सब पहुंच जाते हैं। सब सागर पहुंच जाते हैं। अगर अपनी सामर्थ्य से नहीं पहुंच सकते, तो छोटे नाले बड़े नालों में गिर जाते हैं। बड़े नाले नदियों में गिर जाते हैं। नदियां बड़ी नदियों में गिर जाती हैं। मगर सागर तक सब पहुंच जाते हैं। ____ वासुदेव यह कह रहा है: अगर तुम खोजते ही रहो, तो परमात्मा तक पहुंच जाओगे। और नक्शों की कोई जरूरत नहीं है। हिंदू, मुसलमान, ईसाई-नक्शों की कोई जरूरत नहीं है। खोज की त्वरा चाहिए। खोज की तीव्रता चाहिए। खोज की सघनता चाहिए। नक्शे नहीं काम आते; खोज की सघनता काम आती है।
इस भेद को समझ लेना। नदी को नक्शा पकड़ा दो, इससे कुछ अर्थ नहीं होगा। सिर्फ नदी में जलधार होना चाहिए, ऊर्जा होनी चाहिए। बस, पर्याप्त है। उसी ऊर्जा के बल नदी खोजती है।
जिन्होंने सत्य को पाया है, उन्होंने भी नक्शों के सहारे नहीं पाया है। क्योंकि इस परिवर्तनशील जगत में नक्शे बन ही नहीं सकते। तुम जिस जगत का नक्शा बनाते हो, जब तक नक्शा बनता है, तब तक जगत बदल जाता है। यहां नक्शे हो नहीं सकते। जीवन परिवर्तन है, तो नक्शे होंगे कैसे?
मैंने सुना है : एक गांव में एक शराबी ने एक मिठाई की दुकान से लड्ड खरीदे। रुपया दिया। आठ आने उसे वापस मिलने थे। लेकिन दुकानदार ने कहा ः क्षमा करें; मेरे पास फुटकर नहीं हैं। कल सुबह आ जाना!
शराबी शराब में था, उसने सोचा कि यह तो झंझट की बात है। सुबह बदल जाए! तख्ती बदल ले। अपना नाम बदल ले। शराबी को हजार तरह की कुशंकाएं उठने लगीं-कि आठ आने मेरे गए। उसने सोचा कि कोई ऐसा निशान मुझे बना लेना चाहिए कि यह बदल न सके। उसने चारों तरफ देखा। देखा एक सांड बैठा है। सामने ही बैठा है दुकान के। उसने कहा : ठीक है। जहां सांड बैठा है...!
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