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भीतर डूबो
मिल जाता है मार्ग, तो तुम्हारी चैतन्य-धारा को न मिलेगा? कुछ तो भरोसा करो। इस भरोसे का नाम श्रद्धा है।
श्रद्धा का मतलब यह नहीं होता कि मैं छाती ठोंककर कहता हूं कि मुझे ईश्वर में भरोसा है। कि मुझे कुरान में भरोसा है। कि जो कहेगा कुरान गलत है, उसकी गरदन काट दूंगा; या अपनी जान दे दूंगा या उसकी जान ले लूंगा। श्रद्धा का यह मतलब नहीं होता। ये तो सब मूढ़ताओं के नाम हैं।
श्रद्धा का इतना ही अर्थ होता है कि जिस जीवन ने मुझे जन्म दिया है, जिस जीवन से मैं आया हूं, वह मुझे सम्हाले है। और अगर मैं ठीक-ठीक तीव्रता से खोज करता रहूं, तो मूल-स्रोत को जरूर पा लूंगा।
श्रद्धा का अर्थ विश्वास नहीं होता। श्रद्धा का अर्थ किसी सिद्धांत में भरोसा नहीं होता। श्रद्धा का अर्थ होता है : अस्तित्व की जो विराटता तुम्हें घेरे खड़ी है बाहर और भीतर, इसमें तुम्हें भरोसा है। तुम्हें अपने पर भरोसा है और अस्तित्व पर भरोसा है। भटकाव कितना ही हो, पहुंचना हो जाएगा। - नदी कितना भटकती है! आड़ा-टेढ़ा रास्ता लेती है। कितना भटकती है! कभी-कभी सागर से दूर चली जाती है, फिर पास आ जाती है। लेकिन भटक-भटक कर भी पहुंच जाती है। __ और फिर नदी की तीसरी बात है, जो वासुदेव कहना चाहता है, वह है : नदी का सर्व स्वीकार भाव। पुण्यात्मा स्नान कर ले, तो नदी को स्वीकार है। पापी स्नान कर ले, तो नदी को स्वीकार है। गंदा नाला गिर जाए, तो नदी को स्वीकार है। शुद्ध गंगा की धारा गिर जाए, तो नदी को स्वीकार है। नदी भेद नहीं करती। जिंदा आदमी नदी में आ जाए, तो ठीक। मुर्दा लाश कोई डाल दे, तो ठीक। नदी सब स्वीकार कर लेती है। उसका परम स्वीकार है।
जब बाढ़ आती है और नदी विराट हो जाती है, तब भी नाचती-गाती चलती है। जब सब सूख जाता है और गर्मी की आग बरसने लगती है, तब भी नदी को स्वीकार है। वह सूख गयी देह भी उतनी ही स्वीकार है। सूरज निकले तो, और बादल घिरें तो—सब नदी को स्वीकार है। नदी की स्वीकारिता परम है। ___ इसको बुद्ध ने तथाता कहा है। सब स्वीकार। जो हो, ठीक। जैसा हो, ठीक। जीवन जहां ले जाए, वही मंजिल। ऐसा जिसके मन में स्वीकार है, उसके जीवन में असंतोष विदा हो जाएगा। उसके जीवन में दुख के बादल फिर नहीं घिरेंगे। उसने तो दुख के बादलों को भी सुख के बादलों में बदलने की कला सीख ली।। ___ जिसको सब स्वीकार है, उसे तुम नर्क नहीं भेज सकते। क्योंकि उसको नर्क भी स्वीकार होगा। और जिसको नर्क स्वीकार है, उसने नर्क को स्वर्ग में बदल लिया। और जिसको स्वीकृति की कला नहीं आती, उसे तम स्वर्ग भी भेज दो, तो शिकायत खोज लेगा। स्वर्ग में भी नर्क बना लेगा।
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