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धर्म का सार-बांटना तुमने किसी भिखमंगे को किसी भिखमंगे के प्रति दया करते कभी देखा? भिखमंगा छीन लेगा दूसरे भिखमंगे से। भिखमंगों के भी अपने दादा होते हैं! उनके भी गुरु होते हैं। भिखमंगा छीन लेगा दूसरे भिखमंगे से। लेकिन भिखमंगों ने कभी दान नहीं दिया है।
अगर गरीबी और दुख का अनुभव दया लाता होता, तो भिखमंगे इस दुनिया में सबसे ज्यादा दयालु होते। वे सबसे ज्यादा कठोर हैं। ..
मेरी समझ और है। जिन्होंने जाना, उनकी भी समझ और है। उनकी समझ यह है कि तुम जितने सुख में जीओगे, उतना ही तुम अनुभव कर पाओगे कि लोग कितने दुखी हैं। ___इसलिए मैं सुख का विरोधी नहीं हूं। मैं तुमसे यह नहीं कह रहा हूं कि तुम सब बांटकर और दुखी हो जाओ। मैं तुमसे यह भी नहीं कह रहा हूं कि तुम जाकर फकीर हो जाओ। मैं तुमसे यह भी नहीं कह रहा हूं कि तुम दीन-हीन होकर भटकने लगो। ___ मैं तुमसे यही कह रहा हूं कि तुम अपने को प्रेम करो। अपने को प्रेम किया, उसी प्रेम से तुम दूसरे को प्रेम करने में धीरे-धीरे सफल हो पाओगे। जिसने अपने को प्रेम नहीं किया, उसने कभी किसी को प्रेम नहीं किया।
इसलिए तुम्हारे तथाकथित महात्मा जो कहते हैं, वह मैं तुम से नहीं कह रहा हूं। तुम्हारे तथाकथित महात्मा यह कहते हैं : अपने प्रति कठोर रहो, और दूसरे के प्रति दयावान। महात्मा गांधी का एक सूत्र यह भी था-अपने प्रति कठोर और दूसरे के प्रति दयावान।
लेकिन जो अपने प्रति कठोर है, वह कभी दूसरे के प्रति दयावान नहीं हो सकता। जो अपना न हुआ, वह किसका हो सकेगा? जो अपने प्रति कठोर है, वह दूसरे के प्रति भी भयंकर रूप से कठोर होगा।
उदाहरण के लिए, गांधी ने ब्रह्मचर्य का व्रत ले लिया। तो वह व्रत था, ब्रह्मचर्य नहीं था। जबर्दस्ती थी। थोप दिया अपने ऊपर। जिस दिन उन्होंने ब्रह्मचर्य अपने ऊपर थोपा, और कठोर हो गए। उसी दिन से वे दूसरों के प्रति दयाहीन हो गए। वे अपने बेटों को भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे कि बेटे किसी के प्रेम में पड़ें। वे बिलकुल जासूसी रखते थे अपने आश्रम में कि कोई किसी के प्रेम में न पड़ जाए। वे, जो भी प्रेम में पड़ जाए, उसको क्षमा नहीं कर पाते थे।
जिसने अपने जीवन को जबर्दस्ती ब्रह्मचर्य में बांध लिया, अब वह दूसरों के साथ भी वही जबर्दस्ती करेगा।
गांधी के सेक्रेटरी किसी के प्रेम में पड़ गए, तो सेक्रेटरी को निकालकर आश्रम से बाहर कर दिया। अगर कोई दो व्यक्ति गांधी के आश्रम में प्रेम में पड़ जाते और विवाह करना चाहते, तो गांधी सब तरह की बाधा डालते थे। पहली तो बाधा यह डालते थे। वे कहते थे कि दो साल ब्रह्मचर्य से रहो। और एक-दूसरे को देखो भी
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