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एस धम्मो सनंतनो
लगता है। और जो वृक्ष जितने धीमे बढ़ता है, उतनी ज्यादा देर टिकता है।
तो मैं तुमसे एक और बात कह दूं, शायद उस अर्हत ने जो मांझी था, यही सोचकर न कहा होगा कि ये मुझे बिलकुल पागल समझेंगे। लेकिन तुम मुझे बिलकुल समझो, तो भी चलेगा। मैं तुमसे यह भी कह दूं: अगर मैं उस नाव का मांझी होता, तो उनसे मैं कहता कि अगर तेज गए, तो भटक जाओगे। अगर धीमे गए, तो पहुंच जाओगे। और अगर बिलकुल न जाओ, यहीं बैठ जाओ, तो पहुंच ही गए। अगर जाना ही छोड़ दो, तो पहुंच ही गए। मैं यह भी उससे कह देना चाहता। क्योंकि पहुंचना कहां है! जहां पहुंचना है, वह तुम्हारे भीतर मौजूद है। बैठ जाओ, तो पहुंच गए।
ठीक है। 'कई तेजगाम भटक गए, कई बर्करौ हुए लापता तेरे आस्तां पे जो रुक गए, उन्हें आकर मंजिल ने पा लिया।' यह सच है। परमात्मा तुम्हें पा लेगा आकर, अगर तुम रुक जाओ। 'उन्हें आकर मंजिल ने पा लिया।'
तुम राजी हो जाओ; शांत हो जाओ; ध्यानस्थ हो जाओ; परमात्मा तुम्हें खोजता चला आता है। उसकी बांह चली आती है खोजती तुम्हें। दूर आकाश से उसके हाथ तुम्हारे सिर पर पड़ जाते हैं। ___ मगर तुम बैठो तो! तुम ऐसे भागे हो, ऐसे कूद रहे हो—जैसा बुद्ध ने कहा कि बंदर वृक्षों पर कूदते हैं। परमात्मा हाथ बढ़ाता है जब तक तुम्हारे वृक्ष पर, तुम छलांग लगा गए दूसरे पर! उसका हाथ तुम्हें खोजता ही रहता है। मिलन कभी हो नहीं पाता। ___ तुम कूद-फांद में लगे हो। तुम एक चीज से दूसरी चीज पर जा रहे हो। तुम किसी चीज में कभी रमते नहीं। रमते नहीं, इसलिए राम से चूक जाते हो। जहां रम जाओ, वहीं राम मिल जाएगा। रम जाओ यानी रुक जाओ, ठहर जाओ; बिलकुल ठहर जाओ। कंपन भी न हो। सारी गति विलीन हो जाए। उस स्तब्ध स्थिति में, जिसको कृष्ण ने स्थितधी कहा—जिसकी बुद्धि, जिसका चैतन्य बिलकुल स्थिर हो गया है—स्थितधी। जो चलते हुए भी चलता नहीं; जो बोलते हुए भी बोलता नहीं-ऐसा जो थिर हो गया है, ऐसी थिरता में परमात्मा तुम्हें स्वयं खोज लेता है।
'उन्हें आकर मंजिल ने पा लिया। यह नजर का अपनी कसूर है, कि हिजाबे-जलवा की है खता कोई एक किरण को तरस गया, कोई चांदनी में नहा लिया।'
बस, दृष्टि की ही भूल है। चांदनी तो पूरे वक्त बरस रही है। आंख खोलो और देखो। खुलो चांदनी के प्रति। बस, दृष्टि का कसूर है। देखने-देखने के भेद हैं। तुम कैसा देखते हो, इस पर सब निर्भर है। इस जिंदगी में परम आनंद बरस रहा है, लेकिन अगर तुम्हारे देखने का ढंग गलत हो, तो तुम दुख देखते रहोगे।
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