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दर्पण बनो
पहला प्रश्न:
भगवान बुद्ध ने ज्ञानोपलब्धि के तुरंत बाद कहाः स्वयं ही जानकर किसको गुरु कहूं और किसको सिखाऊं, किसको शिष्य बनाऊं? और फिर उन्होंने धालीस वर्षों तक लाखों लोगों को दीक्षित भी किया और सिखाया भी। लेकिन महापरिनिर्वाण के पहले उनका अंतिम उपदेश थाः आत्म दीपो भव! भगवान इस पर कुछ प्रकाश डालने की अनुकंपा करें।
जिस ने भी जाना, सदा स्वयं से जाना। गुरु हो, तो भी निमित्तमात्र है। गुरु न
हो, तो भी चल जाएगा। असली सवाल-ध्यान रखना-गुरु के होने, न होने का नहीं है। असली सवाल स्वयं में प्रवेश का है। कुछ साहसी लोग अकेले भी स्वयं में प्रविष्ट हो जाते हैं। कुछ को सहारे की जरूरत पड़ती है। जिनको सहारे की जरूरत पड़ती है, वे भी प्रविष्ट तो अकेले ही होते हैं। सहारा निमित्तमात्र है। ___ सहारा वस्तुतः सत्य के मिलने में सहयोगी नहीं है, सिर्फ तुम्हारी हिम्मत बढ़ाने में सहयोगी है।
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