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बोध से मार पर विजय
करते धर्म की। और पूरब के लोग हैरान होते हैं कि यह मामला क्या है! पूरब के लोग पश्चिम जा रहे हैं! कैसे अच्छी इंजीनियरिंग आ जाए; कैसे अच्छे डाक्टर हो जाएं। कैसे टेक्नोलाजी, कैसे विज्ञान, इसके लिए पश्चिम जा रहे हैं।
पूरब के सोच-विचारशील लोग पश्चिम की तरफ भाग रहे हैं कि एक डिग्री पश्चिम से और ले आएं। और पश्चिम से लोग डिग्रियां इत्यादि फेंककर, कूड़े-कर्कट में डालकर...।
यहां मेरे संन्यासियों में कम से कम बीस पीएच.डी. हैं! तुम एक को भी न पहचान पाओगे कि यह आदमी पीएच.डी. है। यहां कम से कम पचास एम.ए. हैं। तुम एक को भी न पहचान पाओगे। और ऐसा तो बहुत कम है कि ग्रेज्युएट कोई न हो। मगर तुम एक को न पहचान पाओगे। सब कचरे में डालकर चले आए हैं। दो कौड़ी की हो गयी बातें। ____ यहां कोई पीएच.डी. हो जाता है, तो अखबारों में खबर छपती है। जुलूस निकाला जाता है ! मैंने सुना है, इलाहाबाद में जब पहला आदमी मेट्रिक हुआ था, तो हाथी पर बैठकर जुलूस निकाला था!
यहां कोई आदमी पश्चिम पढ़ने जाता है, तो अखबारों में खबर निकलती है। जैसे कोई भारी घटना घट रही है कि वे पश्चिम पढ़ने जा रहे हैं! पश्चिम पूरब की तरफ आ रहा है, क्योंकि पश्चिम अब संपन्न है; उसने शरीर का सुख जाना। मन के सुख जाने। अब आत्मा की पीड़ा उठनी शुरू हुई है। __इस बात की बहुत संभावना है कि भविष्य में पश्चिम पूरब हो जाए और पूरब पश्चिम हो जाए। इस बात की बहुत संभावना है कि सूरज पश्चिम से उगे और पूरब
में डूबे।
देवताओं के पास कुछ और तो काम नहीं, इसलिए अक्सर ऐसी बहुत कहानियां आती हैं बौद्ध शास्त्रों में, जैन शास्त्रों में, हिंदू शास्त्रों में, देवताओं में बड़ा विवाद उठता है छोटी-छोटी बात पर। हालांकि देवता उत्तर किसी बात का भी नहीं पा सकते। क्योंकि सब बुद्धि का खिलवाड़ है। आत्मिक अनुभव नहीं है। स्वर्ग में आत्मिक अनुभव नहीं घटता, नहीं घट सकता। ___ सुखी आदमी आत्मा का चिंतन शुरू करता है। मगर चिंतन में ही अटका रहता है। सुखी आदमी को चिंतन से आगे जाना पड़े–अनुभव में; साधना में। ___ एक बार देवताओं में प्रश्न उठाः दानों में कौन दान श्रेष्ठ? रसों में कौन रस श्रेष्ठ? रतियों में कौन रति श्रेष्ठ? और तृष्णाक्षय को क्यों सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है? कोई भी इन प्रश्नों का उत्तर न दे सका।
यह मत समझना कि उत्तर लोगों ने नहीं दिए। उत्तर तो दिए होंगे। हजार उत्तर दिए होंगे। लेकिन कोई भी उत्तर उत्तर नहीं था। तुम यह मत सोचना कि देवता बिलकुल बुद्ध हैं। क्योंकि तुम यह कहानी पढ़ोगे, तुमको लगेगा : अरे! हम ही उत्तर
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