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एस धम्मो सनंतनो
नाता फिर साधारण था। उसमें कुछ बड़ी महत्ता की बात न थी। अगर गुरु की करुणा अपार न हो, उसकी क्षमा अपार न हो, तो वह गुरु नहीं। यही तो उसकी गुरुता है। ___ अगर कोई और होता, कोई अहंकारी जीव होता, कोई तुम्हारे तथाकथित धर्मगुरुओं और तुम्हारे तथाकथित महात्माओं जैसा महात्मा होता, तो मुंह फेरकर निकल जाता—कि लगने दो फांसी। अच्छा हुआ! यही होना ही चाहिए। और शायद जल्लादों से कहता कि फांसी देने के पहले कुछ कोड़े भी लगा देना मेरी तरफ से। यह इस योग्य है। यह नरक में सड़ेगा। और अपने दूसरे शिष्यों से कहा होता कि देखो, क्या गति होती है मुझे छोड़ने पर! यह गति होती है। सावधान ! कभी मुझे छोड़कर कहीं जाना मत। औरों को डरवाता। शायद जाकर उस मरणासन्न युवक के घाव पर थोड़ा नमक छिड़कता—कि देख! अब भोग। चेताया था; नहीं चेता। जो कहा था, नहीं सुना। अब परिणाम भोग। और एक तरह की प्रसन्नता अनुभव करता। आह्लादित होता कि पहले ही कहा था, जो मेरी नहीं सुनेगा, उसको यह फल मिलने ही वाला है।
नहीं; लेकिन महाकाश्यप ने उसके पास जाकर अत्यंत करुणा से उसे कहा: पूर्व के उत्पादित ध्यानों का स्मरण करो। ___गुरु वही, जिसकी क्षमा अपार हो। अपार अर्थात जिस पर कोई सीमा और शर्तबंदी न हो। क्षमा जिसका स्वभाव हो। क्षमा उससे ऐसे ही बहती है, जैसे फल से गंध बहती है; दीए से रोशनी बहती है। क्षमा उससे ऐसे ही बहती है, जैसे पहाड़ों से जल उतरता है। जैसे मेघों से वर्षा होती है। क्षमा उसे करना नहीं पड़ता; क्षमा उसका स्वभाव है। सहज है, बेशर्त होती है।
सोचा नहीं महाकाश्यप ने कि इसको क्षमा करना ठीक? इस जघन्य अपराधी को, इस भ्रष्ट संन्यासी को? नहीं; यह क्षमा का पात्र नहीं।
जो गुरु पात्र-अपात्र का भेद करे, वह गुरु नहीं। गुरु के लिए तो सभी पात्र हैं। और चूकना स्वाभाविक है, मनुष्य के लिए क्षम्य है। इसलिए चूकने पर कोई इतना नाराज होने की बात नहीं है।
ध्यान रखना फर्क। गुरु ने यह याद नहीं दिलाया कि तूने क्या-क्या पाप किए, जिसका फल भोग रहा है। गुरु ने याद दिलायाः पूर्व के उत्पादित ध्यानों का स्मरण करो। गुरु सदा विधायक की याद दिलाता है, निषेधात्मक की नहीं।
जो तुम्हें निषेधात्मक की याद दिलाएं, उनसे सावधान रहना। वे गुरु नहीं हैं। वे हत्यारे हैं। वे तुम्हारी हत्या कर रहे हैं। और वही किया जा रहा है। तुम्हारे तथाकथित गुरु तुम्हें याद दिलाते हैं तुम्हारे पापों की, तुम्हारे. भ्रष्टाचरण की, तुम्हारे जघन्य अपराधों की। तुम नर्क में सड़ोगे—इसकी याद दिलाते हैं। तुम्हें भयभीत करते हैं। तुम्हें डराते हैं। तुम्हारे तथाकथित मंदिर और मस्जिद तुम्हारे डर से जीते हैं। तुम्हारा भगवान, तुम्हारे भय का ही सघन रूप है और कुछ भी नहीं। तुम्हें डरा दिया गया
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