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एस धम्मो सनंतनो
भटकते होंगे, इनके साथ हो लिया था राजमहल छोड़कर। था तो आदमी जुआरी, दांव पर लगा दिया था सब।
ऐसे आदमी बड़े काम के भी होते हैं! अगर कभी बुद्धपुरुषों से मिलना हो जाए, तो फिर वे देर नहीं करते। अगर नीचे जाने में सब दांव पर लगा सकते हैं, तो ऊपर जाने में क्यों दांव पर नहीं लगा सकेंगे! ____ दुकानदार हमेशा डरता रहता है। न नीचे जाता, न ऊपर जाता। जाता ही नहीं कहीं। यहीं कोल्हू के बैल की तरह घूमता रहता है। सोचता ही रहता है: करूं कि न करूं? इसमें फायदा कितना, हानि कितनी, लाभ कितना? इतना धन लगेगा! ब्याज भी मिलेगा कि नहीं मिलेगा? इससे सार क्या होगा? चिंता-फिकर में ही, हिसाब-किताब में ही, गणित बिठालने में ही समय बीत जाता है। ___ यह आदमी था तो जुआरी, बाप की सारी संपत्ति को लात मार दी। बाप ने कहा भी होगा शायद कि देख, तू क्या कर रहा है! दाने-दाने को मुहताज हो जाएगा! उसने कहा होगा : कोई फिकर नहीं; जिससे लगाव हो गया, उसके साथ जाता हूं। आप अपनी संपत्ति सम्हालो। आपकी प्रतिष्ठा सम्हालो। मैं प्रतिष्ठा खोता हूं। धन खोता हूं। सब खोता हूं। लेकिन जिससे मोह हो गया, उसके साथ जाता हूं। मैं सब दांव पर लगाता है। ___ था तो आदमी हिम्मतवर, था तो साहसी। इसीलिए दूसरी घटना भी घट सकी। जब बुद्ध ने उसे पुकारा...रस्सी पर खड़ा था। और जब बुद्ध ने कहा कि यह भी कोई कला है उग्गसेन! तू मेरे साथ आ, मैं तुझे असली कला सिखाता हूं। तू ध्यान में सम्हल जा। तू जीवन-मरण के पार हो जा।
बुद्ध ने फांस लिया। किया सम्मोहन! फेंका जाल। बुद्ध देखने क्या रुके, उग्गसेन को सदा के लिए अपने साथ ले गए।
उग्गसेन के मन में जैसे बिजली कौंध गयी। बात तो सच है। और उसे समझ में भी आ गयी यह बात–कि नटी के प्रेम में पड़ा, तो नट हो गया। काश! बुद्ध के प्रेम में पड़ जाऊं, तो बुद्धत्व मेरा है।
और दांव लगाने में तो कुछ था ही नहीं। अब दांव को कुछ था भी नहीं। यह तमाशागिरी थी, यह दांव पर लगती थी, लग जाए। और यह भी वह देख चुका था कि जो हजारों लोग देखने इकट्ठे हुए थे; जब बुद्ध आए, तो उसकी तरफ पीठ करके खड़े हो गए। तो मनोरंजन से मनोभंजन बड़ा है, इसका प्रत्यक्ष साक्षात्कार हो गया। __ और उसने भी देखी होगी, बुद्ध की यह महिमा; बुद्ध का यह रूप; बुद्ध का यह प्रसाद; बुद्ध के साथ चलती यह शांति की हवा, यह आनंद की लहर, यह सुगंध! क्षण में बुद्ध का हो गया। उसी क्षण भिक्षु हो गया। सोचा भी नहीं। यह भी न कहा कि कल आऊंगा। कल कभी आता भी नहीं। यह भी न कहा कि सोचने का थोड़ा मौका दें।
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