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एस धम्मो सनंतनो
तुम दिल्ली का ही विस्तार पाओगे स्वर्ग में, जरा बड़े पैमाने पर। कुछ भेद नहीं है। वही जालसाजियां, वही कूटनीति, वही एक-दूसरे की टांग पकड़कर खींचना। वही दल-बदल भी पाओगे। और बाकी समय काम क्या है? शराब ढालो और अप्सराओं को नचाओ! और करोगे क्या?
तो स्वर्ग में तो भूल गयी सब ध्यान, भूल गयी अंतर्यात्रा। तो जो पुण्य का अर्जन था, वह चुक गया। सभी कमायी गयी चीजें एक दिन चुक जाती हैं। तो अब गिरी है सुअरी होकर। इसलिए हंसा।
तो खयाल रखनाः सारे भारतीय धर्मों ने एक बात कही है, जो बड़ी महत्वपूर्ण है। इस पर सब राजी हैं—जैन, हिंदू, बौद्ध। और वह यह बात है कि स्वर्ग से सीधे कोई मोक्ष नहीं जाता। स्वर्ग से मोक्ष का रास्ता ही नहीं है। अगर मोक्ष जाना हो, तो पहले संसार में आना पड़ता है। मोक्ष जाने का रास्ता संसार से है। इसलिए मनुष्य योनि में आना ही पड़ेगा-देवता को भी।
क्यों स्वर्ग से मोक्ष का रास्ता नहीं है? होना तो यह चाहिए, गणित तो यह कहेगा कि वहां से तो बिलकुल करीब ही होना चाहिए; कि जरा आगे बढ़े कि मोक्ष में पहुंच गए! स्वर्ग से जरा आगे बढ़े तो मोक्ष में पहुंच गए!
नहीं; लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि स्वर्ग में इतना सुख है कि मोक्ष की याद ही भूल जाती है। सुख शराब जैसा है; सुला देता है। दुख जगाता है। दुख में आदमी सो नहीं पाता। और जागरण से कोई मोक्ष जाता है—निद्रा, तंद्रा से नहीं।।
तो तुम्हारे देवता तो सोए-सोए से हैं। होंगे ही। इसलिए जब बुद्ध को परम ज्ञान उत्पन्न हुआ, तो कथाएं कहती हैं कि देवता उनके चरणों में आए; स्वयं ब्रह्मा आया उनके चरणों में फूल चढ़ाने। क्यों? क्योंकि बुद्धत्व देवत्व से बड़ा है।
बुद्धत्व का अर्थ है : व्यक्ति सुख-दुख से मुक्त हो गया। देवत्व का अर्थ है : व्यक्ति दुख से मुक्त होकर सुख में चला गया। एक बंधन हटा, दूसरा बंधन आया। लोहे के बंधन हटे, सोने के बंधन आ गए। जंजीरें पहले लोहे की थीं; अब सोने की हैं, हीरे जड़ी हैं। __मगर खयाल रखना ः हीरे जड़ी जंजीरें ज्यादा खतरनाक हैं लोहे की जंजीरों से। क्योंकि लोहे की जंजीरों को तो तोड़ने का मन भी होता है। हीरे की जंजीरों को कौन तोड़ता है? लोग उनको आभूषण मानते हैं, उनको बचाते हैं। तुम्हें अगर हीरे की जंजीरें पहना दी जाएं, तो तुम कभी न तोड़ोगे। और कोई तुम्हें मुक्त करने आएगा, तो तुम उसको दुश्मन समझोगे कि मेरे आभूषणों से मुक्त कर रहे हो!
स्वर्ग से कोई मोक्ष नहीं चाहता। मोक्ष चाहने का कोई कारण नहीं मालूम होता। लौटना पड़ता है मनुष्य योनि में। मनुष्य योनि चौराहा है। वहां से नीचे भी जा सकते हैं, ऊपर भी जा सकते हैं। और वहां से अतिक्रमण भी संभव है। मनुष्य योनि से नीचे जा सकते हैं; नर्क में जा सकते हैं; दुख में, और महादुख में। या सुख में, स्वर्ग
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