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बाल-लक्षण
देते हो? तुम अपनी ही जिंदगी के साथ बड़ा खेल करते हो! किसी और को यह धोखा नहीं, यह आत्मघात है। यह आत्महत्या है। ___'परंतु मनुष्य जब अपना आप नहीं है, तब पुत्र और धन अपने कैसे होंगे?'
अपने आप भी! तुम थोड़ा सोचो, अपने नहीं हो। मौत आ जाएगी, क्या करोगे? मौत ले.जाएगी, क्या करोगे? अपने आप भी तो हम अपने मालिक नहीं!
लाई हयात आए कजा ले चली चले __ जन्म हो गया, ठीक। मौत आ गई, ठीक। अपने भी तो हम मालिक नहीं हैं। इस स्थिति में तुम और किसके मालिक होने के पागलपन में पड़े हो? पति सोचता है, पत्नी का मालिक है। पति शब्द का मतलब ही मालिक होता है। अपने तुम मालिक नहीं, किसके पति होने के पागलपन में पड़े हो?
कल एक मित्र ने संन्यास लिया और पूछा कि मैं संन्यासियों को स्वामी क्यों कहता हूं?
याद दिलाने को कि जब तक तुम अपने स्वामी नहीं, तब तक किसी और चीज के स्वामी होने के पागलपन में मत पड़ना।
दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं। एक, जो अपने मालिक हैं-संन्यस्त। जो अपनी मालकियत की खोज में हैं कम से कम-संन्यस्त। जिन्हें कम से कम यह समझ में आ गया कि और कोई मालकियत काम की नहीं। सब मालकियत धोखे की हैं। चीखते रहो, चिल्लाते रहो, मेरा मकान है; मकान यहीं पड़ा रह जाता है, तुम चले जाते हो।
सब ठाठ पड़ा रह जाएगा
जब लाद चलेगा बंजारा जो तुम्हारा नहीं है, वह तुम्हारे साथ न जा सकेगा। वही तुम्हारे साथ जाएगा, जो तुम्हारा है। उसको ही खोज लो, जिसके तुम वस्तुतः मालिक हो। उसी को बुद्ध सदधर्म कहते हैं। वही जीवन का परम अनुभव खोज लो, जो तुम्हारा है और बस तुम्हारा है; और सदा तुम्हारा होगा।
'मनुष्य जब अपना आप नहीं है...।'
अत्ता ही अत्तनो नत्थि।
अपने ही अपने नहीं हैं हम। अब किसके और दावेदार बनें?
मूढ़ दूसरों पर दावे करता है। जिसे मूढ़ता तोड़नी हो, उसे एक ही दावा खोजना . चाहिए-अपने पर।
हर नफस है निशात से लबरेज तर्क जिस दिन से इख्तियार में है
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