Book Title: Dhammapada 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 215
________________ एस धम्मो सनंतनो है? झंडा ऊंचा करते हो और काटते हो एक-दूसरे को! और एक-दूसरे का झंडा नीचा करने आते हैं। अगर इतनी ही झंझट है तो पहले ही नीचे कर लो। अगर इस पर इतना बड़ा अटकाव है तो कपड़ों के चीथड़े डंडों पर लगाकर इतना शोरगुल क्यों मचा रहे हो? नहीं, लेकिन पहले वह जहर पिलाना जरूरी है। वह शराब पिलानी जरूरी है। तो राष्ट्रीयता की शराब पिलाई जाती है। फिर आदमियों को कटवाओ युद्धों में, वे चले जाते हैं बिलकुल मस्ती से। बैंड-बाजे की धुन पर जाते हैं। मरने जा रहे हैं। ऐसे जाते हैं जैसे उत्सव में जा रहे हैं। अब अगर हिंदू-मुसलमान को लड़ाना है तो पहले शराब पिलाओ कि हिंदु धर्म ही सच्चा धर्म है। शराब पिलाओ कि इस्लाम ही सच्चा धर्म है। जब वे पीकर डूब जाएं, फिर लड़ा दो। __सारी जमीन करीब-करीब पागल है। धारणाओं की शराब है-कोई कम्युनिस्ट है, कोई फेसिस्ट है, कोई हिंदू है, कोई मुसलमान है, कोई जैन है, कोई ईसाई है, कोई भारतीय है, कोई चीनी है। हजार-हजार तरह की शराबें पिलाई गई हैं। रात अंधेरी है; भयानक शून्य है चारों तरफ। कुछ तुम्हें अपना पता नहीं है, कौन हो तुम! कुछ तुम्हें पता नहीं है, कहां जा रहे हो तुम ! कुछ तुम्हें पता नहीं है कि सब तरफ मौत ने घेरा है। मगर सांत्वना रहती है। शराब पी ली तो हिम्मत रहती है। हिम्मत खतरनाक है। वैसी हिम्मत उचित भी नहीं; क्योंकि वैसी हिम्मत तुम्हें मूढ़ बनाती है। निर्धारणा से अगर तुम चलोगे तो सम्हलकर चलना पड़ेगा। एक-एक इंच खतरा है और एक-एक श्वास खतरा है। अगर तुम कोई धारणा नहीं रखते हो तो तुम्हें सम्हलकर चलना ही पड़ेगा। फिर तुम गैर सम्हलकर नहीं चल सकते हो। और इसीलिए बुद्ध ने बड़ा जोर दिया है निर्धारणा पर। क्योंकि निर्धारणा तुम्हें सम्हलने की कला सिखाएगी। और तुम धीरे-धीरे उसी सम्हलने में सजग होते जाओगे, सावधान होओगे, सावचेती आएगी। और वही सूत्र है सत्य की तरफ जाने का। जितनी तुम्हारे भीतर सावधानी आ जाए, जितना भी तुम्हारे भीतर सजग भाव आ जाए, उतने ही तुम सत्य के करीब होने लगे। सत्य को जानने का रास्ता धारणा नहीं है, सजगता है। तीसरा प्रश्नः आपके पास रहने का मौका मिला, यह मेरा बड़ा भाग्य; और मैं अनुगृहीत हूं। लेकिन आश्चर्य है कि सान्निध्य में रहकर 198

Loading...

Page Navigation
1 ... 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282