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कल्याण मित्र की खोज
दूसरे को बचाना और मुश्किल हो जाएगा। संभावना यही है कि नीचे जाने वाला तुम्हें भी नीचे घसीटने लगे। और नीचे जाने वालों की भीड़ है। उनका वजन भारी है, उनका ग्रेवीटेशन बहुत है। भूल मत जाना।
एक दफा ऐसा हुआ, मैं नदी के किनारे बैठा था। एक सज्जन और थोड़ी दूर पर सीढ़ियों पर बैठे थे। और एक आदमी डूबने लगा। मैं भागा दौड़कर उसको बचाने के लिए। मगर मेरे पहले वे जो सज्जन सीढ़ियों पर बैठे थे, वे कूद गए। तो मैंने सोचा, बात खतम हुई। मैं खड़ा हो गया। मैं देखा कि वह दूसरा आदमी भी डूबने लगा। मैंने पूछा, यह मामला क्या है? वह जो डूब रहा था, उसकी तो फिक्र छोड़नी पड़ी, क्योंकि वह तो दूर था, पहले इन सज्जन को निकालना पड़ा। इनको निकालकर मैंने पूछा कि तुम कूदे कैसे? उसने कहा, मैं भूल ही गया कि मुझे तैरना नहीं आता। उसको डूबता देखकर यह याद ही न रही मुझे कि मुझे तैरना नहीं आता।
तुम जरा खयाल रखना कि तुम्हें ऊपर जाना अभी आता भी है ? कहीं नीचे जाने वाले पर दया करके मत उतर जाना। थोड़े सावधान रहना। कहीं ऐसा न हो कि डूबता तुम्हें भी डुबा ले। इसलिए बहुत सावधानी, बहुत सावचेती से चलने की बात है। ___'बुरे मित्रों की संगति न करे, न अधम पुरुषों की संगति करे। कल्याण मित्रों की संगति करे और उत्तम पुरुषों की संगति करे।'
''कल्याण मित्र' बुद्ध का अपना शब्द है, बड़ा प्यारा शब्द है। कल्याण मित्र ही मित्र है। कल्याण मित्र का अर्थ है, जो तुम्हारे कल्याण की आकांक्षा से भरा है। जिसकी प्रार्थनाएं तुम्हारे कल्याण की आकांक्षा से भरी हैं। जिसका तुमसे कुछ और स्वार्थ नहीं है। जो तुम्हें खुश देखना चाहेगा; जो तुम्हें गीत गाता देखना चाहेगा; जो तुम्हें खुश देखकर अनंत गुना खुश हो लेगा। कल्याण मित्र का अर्थ है, तुम्हारे कल्याण में जिसका आनंद है। और तुम्हारा किसी तरह का उपयोग साधन की तरह करने की जिसकी कोई आकांक्षा नहीं है। ___ कल्याण मित्र की तलाश करीब-करीब गुरु की तलाश है। क्योंकि तुम्हारे कल्याण की कामना वही कर सकता है, जो अपने कल्याण को उपलब्ध हुआ हो। तुम्हें ऊपर ले जाने की आकांक्षा वही कर सकता है, जो ऊपर पहुंचा हो। जिसने पहाड़ के शिखरों पर घर बनाया हो, वही तुम्हें तुम्हारी घाटियों के अंधेरे से बाहर ला सकेगा। जिसने रोशनी जानी हो, जो परमात्मा में क्षणभर जीया हो, जिसने परमात्मा का स्वाद लिया हो। क्योंकि तभी, केवल तभी कल्याण की वर्षा होनी शुरू होती है। उसके पहले नहीं
__ कल्याण मित्र बुद्ध का शब्द है गुरु के लिए। बुद्ध गुरु शब्द के पक्षपाती नहीं; थोड़े विरोधी हैं। बुद्ध बड़े अनूठे मनुष्य हैं। वे कहते हैं कि गुरु शब्द विकृत हो गया है। हो भी गया है; उस दिन भी हो गया था। गुरुओं के नाम पर इतना शोषण चला है, गुरुओं के नाम पर इतना व्यवसाय चला है। गुरुओं ने लोगों को कहीं पहुंचाया,
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