Book Title: Dhammapada 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 258
________________ मंथन कर, मंथन कर दूसरा प्रश्न: नींद में सपने नहीं आते, पर लगता है कि कई दिनों से नहीं सोई हूं। जरा सी बाधा पर भी शरीर जाग पड़ता है, जैसे कि जागी ही होऊं। लेकिन थकान का अनुभव नहीं होता और नींद का समय सरकता मालूम होता है। कृपया बताएं कि यह कैसी स्थिति है? शुभ है, मंगलकारी है। जैसे-जैसे ध्यान की गहराई आने लगेगी तो रात में भी तुम पाओगे कि कोई तुम्हारे भीतर जागा ही है। ऊपर की पर्ते सो गयीं, भीतर कोई कोना प्रकाशित है, आलोकित है। शरीर डूब गया अंधकार में, मन भी खो गया, लेकिन चैतन्य की कोई एक किरण जलती ही चली जाती है। कोई भीतर साक्षी पहरा दिए चला जाता है। ___अभी भी, सोए-सोए भी वह साक्षी तो मौजूद है; तुम्हें पता हो या न हो। सुबह कौन कहता है कि रात सपने देखे? किसे याद रह जाती है सपने की? निश्चित ही सपने के अलावा भी कोई मौजूद था। दूर किनारे खड़े होकर देखता होगा। जैसे तुम फिल्म-गृह में जाते हो और देखते हो एक तस्वीरों का जाल। पर्दे पर कुछ भी तो नहीं है-धूप-छाया का खेल। तुम देखते हो, चाहे तुम देखने में बिलकुल डूब ही क्यों न जाओ-डूब ही जाते हो, भूल ही जाते हो, भूल ही जाते हो कि पर्दा कोरा है, भूल ही जाते हो कि सिर्फ धूप-छाया का खेल है, सब धोखा है, भूल ही जाते हो कि माया है। लेकिन तीन घंटे बाद जब उठते हो, तब अचानक याद आ जाती है। तब बाहर चर्चा करते निकलते हो कि फिल्म अच्छी थी, नहीं थी। छू गई दिल को, नहीं छू गई। जरूर कोई पीछे खड़ा रहा। तुम फिल्म भी देखते रहे और तुम उसे भी देखते रहे, जो देखता था। बड़ी धीमी है यह बात अभी। बड़ी मंदिम-मंदिम है। रोशनी बहुत प्रगाढ़ नहीं है, सूरज जैसी नहीं है, टिमटिमाते छोटे से मिट्टी के दीए जैसी है, पर है। और मिट्टी का दीया सूरज का ही अवतार है। मिट्टी के दीए में वही सब कुछ है, जो सूरज में बड़ा होकर है। कबीर कहते हैं, जब जागा तो ऐसा लगा, जैसे हजार-हजार सूरज एक साथ उतर आए। निश्चित ही हजार-हजार सूरज उतर आएं तो मिट्टी के दीए की ज्योति पता भी न चलेगी। लेकिन अभी पता चलती है, अंधेरा बहुत है। सुबह उठकर कभी तुम कहते हो, रात बड़ी आनंद से बीती। सपना आया ही नहीं। कोई सपनों की उधेड़-बुन न रही। एक गहरी शांति में सोए, बड़ी गहरी नींद थी। कौन कहता है ? अगर तुम बिलकुल ही सो गए थे तो यह कौन याद कर रहा 241

Loading...

Page Navigation
1 ... 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282