Book Title: Dhammapada 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 275
________________ एस धम्मो सनंतनो .. तुम से कुछ-कुछ करने को भी कहता हूं, क्योंकि तुम्हें अगर ऐसा लगे कि कुछ भी करने को नहीं है तो तुम्हारी बुद्धि के बाहर हो जाती है बात; और भी पकड़ के बाहर हो जाती है। तुम सोचते हो कुछ करने को, मैं जानता हूं, कुछ करने को नहीं है सिर्फ जांगने को है। और जागना तो सिर्फ सुनकर भी हो सकता है। कोई सो रहा है, क्या करना है इसको जगाने के लिए? थोड़ा हिलाएंगे, पुकारेंगे। पुकार रहा हूं तुम्हें, हिला रहा हूं तुम्हें। पंख खुल जाते स्वयं ही शून्य का पाकर निमंत्रण विस्मरण होता सहज ही नीड़ का आवास उस क्षण जैसे ही तुम्हें विराट आकाश का निमंत्रण मिल जाएगा, जरा सा तुम्हारी खिड़की से आकाश तुम में झांके, पंख फड़फड़ाने लगेंगे। तुम भूल ही जाओगे उस निमंत्रण के क्षण में उस छोटे से घर को, जो तुमने बसाया। वह नीड़ जिसको तुमने अब तक जीवन समझा, उस विराट के आकर्षण में, जादू में, उस घर को तुम भूल ही जाओगे। तुम उड़ ही पड़ोगों ____पंख तुम्हारे पास हैं। याद तुम्हें नहीं कि पंख तुम्हारे पास हैं। पंख तुम्हारे पास हैं, आकाश तुम्हारे पास है, तुम्हें चारों तरफ उसने घेरा। लेकिन पंखों की याद नहीं तो तुम आकाश को कैसे जानो? सुनो। श्रावक बनो। सम्यक श्रवण, राइट लिसनिंग, महत क्रांति है। जाहिद शराबे-नाब की तासीर कुछ न पूछ अकसीर है जो हलक के नीचे उतर गई पवित्र शराब की बात ही मत पूछो। जाहिद शराबे-नाब की तासीर कुछ न पूछ पवित्र शराब की बात ही मत पूछो। वही तो उड़ेल रहा हूं। अकसीर है जो हलक के नीचे उतर गई पर सवाल यह है कि तुम्हारे कंठ के नीचे उतर जाए। तुम्हारे हृदय में उतर जाए। थोड़ी राह दो। सुनो मेरी दस्तक, थोड़ी राह दो। रिन्दाने-बोरिया की है सोहबत किसे नसीब जाहिद भी हम में बैठ के इन्सान हो गया रिन्दाने-बोरिया की है सोहबत किसे नसीब सरल-हृदय शराबियों का साथ किसे मिलता? मिल जाए तो साथ बैठ-बैठकर ही क्रांति घटित हो जाती है। इसे हमने पूरब में सत्संग कहा है। सत्संग का अर्थ है: पीए हुओं के पास बैठ जाना। पीए हुओं की मौजूदगी शराब है। पीए हुओं के आसपास का आसमान शराब 258

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