________________
एस धम्मो सनंतनो
है? जरूर तुम बिलकुल नहीं सो गए थे, कोई तो जागता ही रहा। शायद तुम्हें पता भी नहीं कि वह कौन है, जो जागता रहा! लेकिन कहीं दूर गहराई में तुम्हारे कोई दीया जलता ही रहा। __ वह चौबीस घंटे जल रहा है। वही तुम्हारा वास्तविक होना है। वही दीया जिस दिन तुम पहचान लोगे, उसी दिन समाधि को उपलब्ध हो जाओगे। उसी दीए की ज्योति जिस दिन तुम्हारी जानी-मानी, परिचित, अपनी हो जाएगी। है तुम्हारी, लेकिन तुम्हें प्रत्यभिज्ञा नहीं है, पहचान नहीं है। है तुम्हारी, लेकिन विस्मरण हो गया है। __जैसे कई दफा तुमने देखा होगा, लिखते-लिखते कलम कान पर लगा ली और फिर खोजने लगे। कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि चश्मा लगाए हो, उसी चश्मे से देख रहे हो और चश्मा खोज रहे हो। वैसा ही कुछ हो गया है। याददाश्त खो
तो जैसे ध्यान की थोड़ी सी झलक आनी शुरू होगी, जैसे ध्यान की पहली पायल बजेगी, वैसे ही यह अड़चन आएगी। अड़चन लगती है तुम्हें, क्योंकि नया अनहोना हो रहा है। सोओगे और नींद मालूम न होगी। अगर कुछ गलत हो रहा होगा तो सुबह थकान मालूम होगी; वह सबूत है। अगर ठीक हो रहा है तो सुबह कोई थकान न मालूम होगी। शरीर का विश्राम भी हो जाएगा और जागरण की एक सतत धारा, एक श्रृंखलाबद्ध भाव-दशा भी बनी रहेगी।
शुभ है। कृष्ण ने गीता में यही अर्जुन को कहा है कि जब सभी सो जाते हैं, या निशा सर्व भूतानां, जब सभी के लिए अंधेरी रात हो गई; तस्यां जागर्ति संयमी, और तब भी संयमी जागा रहता है। __ इसका कोई यह मतलब नहीं है कि संयमी बैठा रहता है रातभर, कि खड़ा रहता है रातभर; पागल हो जाएगा। संयमी भी विश्राम करता है, लेकिन संयमी का शरीर ही विश्राम करता है। संयमी भीतर साक्षी की तरह जागा रहता है।
बुद्ध के पास आनंद वर्षों रहा। एक दिन उसने पूछा कि मैं बड़ा चकित होता हूं। कल तो रातभर बैठकर देखता रहा! कई दफा खयाल तो आया, कभी रात उठना पड़ा है तो देखा कि आप जिस करवट सोए हैं, उसी करवट सोए रहते हैं। हाथ जहां रखा है, वहीं रखे रहते हैं। जिस हाथ का तकिया बनाया है, उसको बदलते भी नहीं रातभर। पैर जिस ढंग से रखा है दूसरे पैर पर, वहीं टिका रहता है। मामला क्या है? क्या रातभर इसका भी हिसाब रखते हैं? यह तो सोना भी मुश्किल हो गया।
बुद्ध ने कहा, हिसाब रखने की जरूरत नहीं है; कोई भीतर जागा ही रहता है। बदलने की जरूरत क्या? एक दफा रख दिया सम्हालकर, रख दिया।
शुभ है, मंगलदायी है; घबड़ाना मत। सपने धीरे-धीरे खो ही जाएंगे। क्योंकि जब साक्षी जागा रहेगा तो सपने नहीं हो सकते। सपना हो तो साक्षी नहीं हो सकता। ठीक है। सपना तो खो गया है, रातभर जागरण जैसा भी बना रहता है। धीरे-धीरे
242