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एस धम्मो सनंतनो
तरफ मुंह होते हैं। दोनों के मुंह मिल गए थे। वह एक ही केंचुआ था, दो नहीं हैं।
जब भी तुमने किसी से विवाह करना चाहा, अपने से ही करना चाहा है। जब भी तुमने किसी से दोस्ती बनानी चाही, अपने से ही बनानी चाही है। और जब तुमने किसी से शत्रुता पाल ली हो, अपने से ही पाल ली है। चेतना अदृश्य है। लेकिन दूसरे में हमारा ही छोर है। हम दूसरे के ही छोर हैं। जीवन गुंथा है। जीवन एक है, बहुत नहीं हैं, अनेक नहीं हैं। जागकर यह पता चलता है।
तो कैसा कल्याण! कैसा अकल्याण! कौन करेगा कल्याण! कौन करेगा अकल्याण! तुम यह मत सोचना कि बुद्ध पुरुष यह कहते हैं कि होश हो तो दूसरा सदा कल्याणकारी है। बुद्ध पुरुष कहते हैं, होश हो तो कल्याण ही कल्याण है, अकल्याण नहीं है। तुम्हारे होश के कारण, दूसरे के कारण नहीं; दूसरा तो है ही नहीं। होश में कहां दूसरा? ये सब बेहोशी की बातें हैं।
शमा है, गुल भी है, बुलबुल भी, परवाना भी
रात की रात ये सब कुछ है, सहर कुछ भी नहीं बस, सब रात की बातें हैं, सुबह कुछ भी नहीं। ये बेहोशी की बातें हैं।
शमा है, गुल है, बुलबुल भी, परवाना भी
रात की रात ये सब कुछ है, सहर कुछ भी नहीं जागृति की सुबह में रात के सपने सब खो जाते हैं; उनमें से कुछ भी बचता नहीं। ऐसा नहीं है कि सुबह जागकर तुम पाते हो कि पचास प्रतिशत सपना तो झूठा था, पचास प्रतिशत सही था। ऐसा नहीं है कि तुम पाते हो दस प्रतिशत सही था, नब्बे प्रतिशत झूठा था। ऐसा भी नहीं है कि तुम पाते हो, कम से कम एक प्रतिशत तो सही था, निन्यानबे प्रतिशत झूठा था। सुबह तुम पाते हो कि शत-प्रतिशत सपना झूठा था। सपने का अर्थ ही यह है कि जो शत-प्रतिशत झूठा है।
जागकर ऐसा नहीं लगता कि कुछ भी जो मूर्छा में जाना था, उसमें कुछ भी सच था; जागकर लगता है, वह सभी खो गया; वह सभी झूठ था। मूर्छा में सत्य जाना ही नहीं जा सकता—एक प्रतिशत भी नहीं।
आंख बंद हो, होश पर धुंध छाई हो, अपना ही पता न हो, दूसरे का पता कहां? भीतर जो मौजूद है, उससे ही मिलन न हो रहा हो तो बाहर जो मौजूद है, उससे मिलन कैसा? निकटतम जो है, उस पर भी हाथ नहीं पड़ता है; तो जो दूर फैला है, जो दूर अनंत तक विस्तीर्ण है, उसको कहां हम पकड़ पाएंगे?
कम से कम अपने को तो मुट्ठी में ले लो। और जिस दिन तुमने अपने को मुट्ठी में लिया, पूरा परमात्मा मुट्ठी में आ जाता है। क्योंकि तुम परमात्मा हो। तुम उसके ही फैलाव हो। एक लहर भी पकड़ में आ गई तो सागर हाथ में आ गया।
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