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कल्याण मित्र की खोज
और जो ऊंचा ले जाता है, वही भीतर ले जाता है। जो भीतर ले जाता है, वही ऊंचा ले जाता है। ऊंचाई और गहराई स्वयं में एक ही बात के नाम हैं।
इसे थोड़ा समझना। संसार की गहराई से तो धर्म की ऊंचाई विपरीत है, लेकिन धर्म की ऊंचाई स्वयं की गहराई से पर्यायवाची है। जितने तुम भीतर जाओगे, उतने ऊपर गए; संसार से ऊपर गए। जितने संसार में तुम नीचे जाओगे, उतने अपने से बाहर गए।
संसार में जाना, अपने से बाहर जाना—एक ही बात है। परमात्मा में जाना, अपने भीतर जाना—एक ही बात है। जिस दिन तुम अपने अंतरतम में पहुंच जाते हो, उस दिन तुम कैलाश के शिखर पर विराजमान हो गए। संसार चारों तरफ चलता ही रहता है, लेकिन तुम्हारी लौ अकंपित हो जाती है। तुम अपने भीतर उस अंतर्गृह में पहुंच गए, जहां कोई लहर नहीं पहुंचती। __मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा जब तुम्हारी लौ थिर हो जाती है, तब कोई तूफान तुम्हें डिगाता नहीं। अभी तुम कहते हो, तूफान डिगाता है। वह सिर्फ बहाना है। तूफान नहीं डिगाता, तुम डिगते हो। तूफान तो सिर्फ बहाना है। जब तुम अडिग हो जाते हो, कोई तूफान नहीं डिगाता।
तुमने कभी खयाल किया, छोटे-मोटे दीए को, अंधड़ आता है, बुझा जाता है। लेकिन बड़ी अग्नि लगी हो पहाड़ों पर, बड़ी अग्नि लगी हो नगर में तो छोटे दीयों को हवा के झोंके बुझा जाते हैं, बड़ी अग्नि को बढ़ाने लगते हैं। रूपांतरण हो गया। छोटा दीया कहेगा, हवा ने बुझाया; बड़ी अग्नि कहेगी, हवा ने बढ़ाया। किसका भरोसा करोगे? ___ तुम बुझ जाते हो जरा से तूफान में, क्योंकि बड़ा छोटा दीया है चैतन्य का। जरा चैतन्य की आग तुम्हारे जीवन में फैले। यही हवाएं, यही तूफान फिर तुम्हें मिटाते नहीं; तुम्हें भरने लगते हैं। तुम्हें पोषण देने लगते हैं।
__ मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए।
यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा 'लहर बनाने वाले पानी को मोड़ते हैं। वाणकार वाण को सीधा करते हैं। बढ़ई लकड़ी को ठीक करते हैं। और पंडित जन अपने को ही नियंत्रित करते हैं।' __दुनिया में और सब कलाएं बाहर हैं। मूर्तिकार मूर्ति बनाता है, चित्रकार चित्र बनाता है, गीतकार गीत बनाता है। लेकिन बुद्ध कहते हैं, असली ज्ञानी अपने को बनाता है। मूर्ति को नहीं गढ़ता, अपने को गढ़ता है। चित्र को नहीं रंगता, अपने को रंगता है। गीत को नहीं सजाता, अपने को सजाता है। अपने सौंदर्य को निखारता है। बड़े से बड़ा स्रष्टा वही है, जो अपने को सूजन दे देता है; जो अपने को नया जन्म दे देता है।
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