Book Title: Dhammapada 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 238
________________ कल्याण मित्र की खोज जीवनभर के लिए तुम्हारी छाती पर बैठ जाएगा। ___ उन्हें तुमसे प्रयोजन नहीं है। उनके कुछ अपने लाभ हैं, जो तुम्हारी प्रशंसा से मिल सकते हैं। तुम्हें बड़ा कहकर वे तुम्हारा उपयोग करना चाहते हैं। वे तुम्हारा शोषण करने में उत्सुक हैं। उनकी नजर तुम्हें साधन बना लेने की है। ___ जब तुम्हारे पास कोई प्रशंसा करने आए तो ध्यान रखना, कोई भी इसलिए प्रशंसा करने नहीं आता कि तुम बड़े महान हो। अगर तुम महान हो, तब तो लोग निंदा करने आ सकते हैं, प्रशंसा करने नहीं आते। क्योंकि तुम्हारी महानता से उनके अहंकार को चोट लगती है। वे तुम्हारे दुश्मन होने लगते हैं। तुम्हारी महानता से कोई प्रयोजन नहीं है। वे तुम्हारी प्रशंसा करने तभी आते हैं, जब उन्हें तुमसे कुछ काम लेना है। जब वे तुम्हारा उपयोग करना चाहते हैं। तुम्हारी सीढ़ी बनाना चाहते हैं। तुम्हारे कंधे पर चढ़कर कहीं जाना चाहते हैं। . __ राजनेता तुम्हारे द्वार पर आकर खड़ा हो जाता है हाथ जोड़कर, कि मैं आपके चरणों की धूल हूं। तुम बड़े प्रसन्न होते हो। तुम बड़े गौरवान्वित होते हो। यह आदमी अपने वोट की तलाश में आया है। इसे न तुम्हारे चरणों से मतलब है। यह तुम्हें पहचानेगा भी नहीं। कल पद पर पहुंच जाने के बाद तुम इसके द्वार पर धक्के खाओगे। यह तुम्हें पहचानेगा भी नहीं। तुम इसी भरोसे में इसको वोट दे दिए थे। __ अमरीका के प्रेसीडेंट रूजवेल्ट के संबंध में कहा जाता है कि जब वे राष्ट्रपति के पद के लिए खड़े हुए तो उन्होंने एक लाख लोगों को व्यक्तिगत पत्र लिखे। उनमें छोटे-मोटे लोग थे, बड़े लोग थे, सब तरह के लोग थे। स्टेशन का कुली भी था, गरीब से गरीब आदमी थे। वे चकित हो गए। चौदह साल, पंद्रह साल पहले अगर वे किसी स्टेशन पर आए थे तो जिस कुली ने उनका सामान ढोकर कार तक पहुंचाया था, उसको जब पत्र मिला-पंद्रह साल बाद, उसके नाम पर, व्यक्तिगत और न केवल इतना, बल्कि उसमें यह भी पत्र में था कि पंद्रह साल पहले जब मैं आया था, तब तुमसे मिलना हुआ था। तब तुम्हारी पत्नी की तबीयत खराब थी, अब कैसी है? तो पागल हो गया वह कुली। अब कोई राजनीति का सवाल ही न रहा। अब किसी पार्टी का कोई सवाल न रहा। वह तो दीवाना हो गया! तुम थोड़ा सोचो। लाखों लोगों ने उनके लिए काम किया निजी तौर से। अगर वे दुबारा उस स्टेशन पर आते पंद्रह साल बाद; तो भी वे पूछते कि फला-फलां नाम का कली कहां है? वे हर चीज नोट करके रखते थे-कितने बच्चे हैं उसके, पत्नी बीमार है, बच्चा अभी किस क्लास में पढ़ रहा है-वे सब नोट करके रखते। कोई मतलब न था। इस आदमी से कुछ लेना-देना न था। लेन-देन कुछ और ही था। लेकिन इतनी सी फिक्र उस आदमी को फुला जाती है। इतनी सी चिंता उस आदमी के प्रति, उस छोटे आदमी को पहली दफा झलक देती है कि मैं कोई छोटा आदमी नहीं, रूजवेल्ट जैसा आदमी चिंता करता है कि मेरी पत्नी बीमार 221

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