________________
एस धम्मो सनंतनो
तो लोग नास्तिकता में भी सहारा खोज लेते हैं, आस्तिकता में भी सहारा खोज लेते हैं। और धार्मिक वही है, जो सहारे न खोजे, सत्य खोजे; जो सांत्वना न खोजे, कंसोलेशन न खोजे, सत्य खोजे: जो संतोष न खोजे. सत्य खोजे। __पर सत्य की खोज थोड़ी लंबी है। क्योंकि तुम्हें ही खोजना पड़ेगा। किसी और का खोजा हुआ काम न आएगा। फिर से अ, ब, स से शुरू करना पड़ता है। बुद्ध ने जो यात्रा की, वह तुम्हें भी करनी पड़ेगी। ऐसा नहीं कि वे कर चुके तो तुम उनका उधार नक्शा लेकर और यात्रा कर लोगे।
सत्य कुछ ऐसा है, इतना जीवंत है कि उसके कोई बंधे-बंधाए रास्ते नहीं हैं: इसलिए नक्शा बन नहीं सकता। सत्य इतना जीवंत है, इतना गत्यात्मक है कि उसका कोई पता-ठिकाना नहीं है।
बुद्ध को जहाँ मिला था, वहीं नमको मिलेगा, जरूरी नहीं है। तम्हें कहीं और मिलेगा। तुम अलग हो, तुम्हारे होने का ढंग अलग है। अलग ही जगह मिलेगा। जिस शकल और सूरत में बुद्ध ने जाना, तुम न जान पाओगे। तुम्हारा परमात्मा, तुम्हारा सत्य भिन्न होगा। तुम भिन्न हो और तुम्हारे आधार से तुम जों जानोगे, वह भी भिन्न हो जाएगा। सत्य एक ही है। __चांद निकलता है आकाश में-एक चांद है; नदी-नाले हजारों, तालाब-तलैया हजारों; सभी में प्रतिबिंब बनेगा; सभी जगह प्रतिबिंब अलग-अलग बनेगा। कोई नदी स्वच्छ होगी, कोई नदी मटमैली होगी। किसी नदी पर लहरें होंगी, कोई नदी शांत होगी। कोई झील चुपचाप सोई होगी, कोई झील तूफान-आंधियों में होगी। प्रतिबिंब सब जगह बनेंगे, चांद एक है। खबर एक चांद की होगी, लेकिन सभी जगह प्रतिबिंब अलग-अलग बनेंगे।
तुम्हारे भीतर भी परमात्मा ने झांका है, लेकिन तुम्हारी झील प्रतिबिंब बनाएगी। बुद्ध के भीतर भी उसी ने झांका, पर प्रतिबिंब और बना। दर्पण अलग है, प्रतिबिंब अलग हो जाएंगे। जिसका प्रतिबिंब बनता है, वह तो एक है।
और इसलिए तुम कभी किसी दूसरे की धारणाओं को उधार अपने ऊपर मत लाद लेना। क्योंकि उन धारणाओं को अगर तुमने पकड़ लिया तो तुम बड़ी मुश्किल में पड़ोगे। एक तो उन धारणाओं के कारण तुम यात्रा ही न करोगे। क्योंकि तुम्हें पता ही है पहले से, तो जाना कहां है? खोजना क्या है? तुम अपने घर ही बैठ रहोगे। और ध्यान रखना, सच तो यह है कि
इस दुनिया में हरकत से ही बरकत है जिसने कुछ ढूंढ़ा होगा तो उसने कुछ पाया होगा
जिसने कुछ ढूंढ़ा होगा तो उसने कुछ पाया होगा तुम मुफ्त चाहते हो। जो बुद्ध को अनंत कठिनाइयों से मिलता है, जो जीसस को सूली पर मिलता है, उसे तुम मुफ्त चाहते हो। जो महावीर को बड़ी तपश्चर्या से
196